भेड़-बकरियों का पालन कैसे किया जाता है. किस उम्र पर कौनसा और कितना चारा खिलाना होता है. जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कब-कौनसा टीका लगवाना होता है. सर्दी-गर्मी और बरसात के हिसाब से भेड़-बकरियों का शेड कैसा हो. बकरे-बकरी पाले हैं तो मिल्क और मीट प्रोडक्शन कैसे बढ़ेगा. भेड़-बकरी पालने वालों के ये वो सवाल हैं जिनके जवाब भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) का 756 एकड़ में फैला केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), फहर, मथुरा बीते 45 साल से दे रहा है. गौरतलब रहे सीआईआरजी की चार अलग-अलग डिवीजन बकरी और भेड़ पालन की साइंटीफिक तरीके से ट्रेनिंग देती हैं.
इतना ही नहीं गोट फार्म खोलने में मदद करते हुए सीआईआरजी प्योर ब्रीड के बकरे और बकरियां भी उपलब्ध कराता है. सीआईआरजी में भेड़-बकरी पालन की ट्रेनिंग देने के साथ ही यहां पीएचडी (रिसर्च स्कॉलर) और पीजी के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई भी कराई जाती है. इसके लिए कई यूनिवर्सिटी ने सीआईआरजी के साथ समझौता किया हुआ है. विदेशों से डिमांड आने पर सीआईआरजी उन्हें अच्छी नस्ल के बकरे और बकरी भी उपलब्ध कराता है.
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गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी अब गरीबों की गाय नहीं रही है. बकरी अब एटीएम बन चुकी है. यही वजह है कि कक्षा आठ पास से लेकर बीटेक, पीएचडी और एमबीए पास बकरी पालन की ट्रेनिंग ले रहे हैं. इतना ही नहीं आर्मी में अफसर रह चुके और सिविल सर्विस से रिटायर अफसर भी बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने के लिए सीआईआरजी आते हैं.
सीआईआरजी के डॉयरेक्टर मनीष कुमार चेटली का कहना है कि हमारे संस्थान में चार डिवीजन है. यह सभी डिवीजन मिलकर भेड़-बकरी पालन की ट्रेनिंग देती हैं. एनीमल जेनेटिक ब्रीडिंग, न्यूट्रीशन और प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी, एनीमल हैल्थ और फिजियोलॉजी एंड रीप्रोडक्शन डिवीजन. इसमे से एनीमल जेनेटिक ब्रीडिंग डिवीजन भेड़-बकरी की नस्ल सुधार पर काम करती है. न्यूट्रीशन और प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी डिवीजन भेड़-बकरी के चारे और उनसे मिलने वाले दूध, मीट, ऊन और फाइबर आदि पर काम करती है. एनीमल हैल्थ डिवीजन बकरियों की बीमारी के समाधान और रोकथाम पर काम करती है. जबकि फिजियोलॉजी एंड रीप्रोडक्शडन डिवीजन भेड़-बकरियों की संख्या बढ़ाने पर काम करती है. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक की मदद से भेड़-बकरियों का कुनबा बढ़ाने पर काम चल रहा है.
सीआईआरजी में बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल की भेड़ पालन की ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग कैसे की जा सकती है इससे जुड़ी पूरी जानकारी सीआईआरजी की बेवसाइट पर दी जाती है. ट्रेनिंग के लिए आनलाइन और डाक से आवेदन कर सकते हैं. बेवसाइट पर हैल्पलाइन नंबर 0565-2970999 और ईमेल आइडी- helplinecirg@gmail.com पर भी संपर्क कर सकते हैं. सात दिन की ट्रेनिंग में फीस के अलावा सीआईआरजी में ही रहने और खाने का अलग से पेमेंट करना होता है. अगर ट्रेनी चाहें तो सीआईआरजी के बाहर भी रह सकते हैं. कई बार आवेदन करने के बाद कुछ महीने का इंतजार भी करना होता है. क्योंकि पहले से ही दूसरे लोग वेटिंग में होते हैं.
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मनीष कुमार चेटली ने बताया कि हमारा संस्थान 756 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. 45 साल पुराना यह संस्थान मखूदम गांव में फरह, मथुरा में स्थित है. यहां बरबरी, जमनापारी, जखराना नस्ल के बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल की भेड़ पालन की ट्रेनिंग दी जाती है. हमारे संस्थान में तीनों ही नस्ल के बकरे-बकरी के साथ ही भेड़ भी मौजूद हैं. समय-समय पर भेड़-बकरी पर रिसर्च होती रहती है. भेड़-बकरी पालन की अलग-अलग बैच बनाकर ट्रेनिंग भी दी जाती है. हमारी बेवसाइट पर ट्रेनिंग से जुड़ी हर तरह की जानकारी दी जाती है.