फसलों पर एमएसपी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर किसान 13 फरवरी से आंदोलित हैं, किसानों को रोकने के लिए सरकार ने पंजाब-हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं को सील कर रखा है. इससे ट्रांसपोर्टेशन और सप्लाई चेन में रुकावट आई है. किसान आंदोलन के चलते मार्ग बाधित होने से मौजूदा शादी के सीजन में दिल्ली के सबसे बड़े कपड़ा बाजार चांदनी चौक में बिक्री 75 फीसदी लुढ़क गई है. अनुमान है कि यहां पर शादी के सीजन में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है. लेकिन, आंदोलन के चलते कारोबार करीब 200 करोड़ रुपये घटकर 100 करोड़ रुपये से भी कम रह गया है.
हाल ही में आए व्यापारी संगठन के आंकड़ों में कहा गया था कि 15 जनवरी से 15 जुलाई के दौरान देशभर में 42 लाख शादियों में करीब साढ़े 5 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसका एक बड़ा हिस्सा हमेशा की तरह चांदनी चौक के भी खाते में जाने का अनुमान था. दरअसल, दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद समेत दूसरे राज्यों से और विदेशों तक से दुकान, बुटिक और शादी वाले घरों के लोग लहंगे, साड़ी और कपड़ों की खरीदारी करने चांदी चौक आते हैं. लेकिन, अब पंजाब से किसान आंदोलन की शुरुआत होने से यहां पर खरीदारों की भीड़ में भारी कमी आई है.
चांदनी चौक बाजार के व्यापारियों के मुताबिक बीते कुछ दिनों में चांदनी चौक में बिक्री में 75 फीसदी तक की गिरावट आ गई है. आगे भी यही हालात बने रहने से आशंकित व्यापारियों ने साड़ी और सूट मैन्युफैक्चरर्स को ऑर्डर देना फिलहाल कम कर दिया है. दुकानदारों के मुताबिक बिक्री घटने की कई वजह हैं. सबसे पहले तो दिल्ली आने वाले रास्तों पर आवाजाही बाधित होने से बाहर से लोगों और माल का आना आसान नहीं रह गया है. वैकल्पिक रास्ते मौजूद होने के बावजूद सुरक्षा और जाम में फंसने से घबराए लोग दूसरे बाजारों का रुख करना बेहतर समझ रहे हैं. यहां से देश और विदेश तक थोक में कपड़ों की सप्लाई होती है. वहीं, विदेशों में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, मारीशस समेत कई देशों में यहां के कपड़े लोकप्रिय हैं.
चांदनी चौक में कपड़ों की करीब 30 हजार दुकानें हैं और यहां पर साल भर ग्राहक आते हैं जिनकी आवाजाही शादियों के सीजन में ज्यादा हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बंगाल, गुजरात और पंजाब समेत दूसरे राज्यों से लहंगे, साड़ी समेत बाकी तरह के कपड़े तैयार होकर बिकने आते हैं. ये मार्केट नए फैशन, गुणवत्ता और रेट के मामले में काफी लोकप्रिय है. अनुमान है कि यहां पर 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है. लेकिन, किसान आंदोलन के चलते ये 100 करोड़ रुपये से भी कम रह गया है. ऐसे में अगर किसान आंदोलन के असर से यहां पर बिक्री में जारी ये कटौती लंबे समय तक बने रहने पर भारी नुकसान की वजह बन सकती है. (आजतक ब्यूरो)