Edible Oil Sector: तेल और तिलहन सेक्टर की एकजुट मांग, फिर शुरू हो फ्यूचर ट्रेडिंग

Edible Oil Sector: तेल और तिलहन सेक्टर की एकजुट मांग, फिर शुरू हो फ्यूचर ट्रेडिंग

तेल और तिलहन क्षेत्र से जुड़े किसान, प्रसंस्करणकर्ता, व्यापारी और उद्योग संगठनों ने एकजुट होकर सरकार और सेबी से दिसंबर 2021 से बंद पड़े वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने की मांग की है. इनका कहना है कि वायदा बाजार किसानों को कीमतों का पूर्वानुमान लगाने, फसलों की योजना बनाने और उचित मूल्य दिलाने में मदद करता है.

Demand from the government of oilseed sectorDemand from the government of oilseed sector
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 30, 2025,
  • Updated Jun 30, 2025, 12:45 PM IST

Edible Oil Sector: कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में तेल और तिलहन क्षेत्र से जुड़े प्रमुख हितधारक एक साथ जमा हुए. इस बैठक में किसान उत्पादक संगठन (FPOs), प्रोसेसर्स, तेल मिलर्स, व्यापारी, व्यापारिक संघ और इंडस्ट्री के प्रमुख प्रतिनिधि शामिल हुए. यह कार्यक्रम Voice For Oil & Oilseeds अभियान के अंतर्गत आयोजित किया गया था. बैठक का मुख्य उद्देश्य सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) से यह मांग करना था कि देश में तेल और तिलहन की फ्यूचर्स ट्रेडिंग को दोबारा शुरू किया जाए.

फ्यूचर्स ट्रेडिंग पर रोक ने बढ़ाई मुश्किलें

दिसंबर 2021 में सरकार ने तेल और तिलहन की फ्यूचर्स ट्रेडिंग पर रोक लगाई थी. इसका मकसद महंगाई को नियंत्रित करना था, लेकिन यह प्रयास असरदार नहीं रहा. इसके विपरीत, किसानों और उद्योग से जुड़े अन्य लोगों को नुकसान उठाना पड़ा. सरसों जैसे प्रमुख तिलहन की कीमतें 3,873 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच झूलती रहीं, जबकि सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5,650 रुपये रहा. इस अस्थिरता के कारण किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाया.

किसानों और व्यापारियों की बढ़ती समस्याएं

फ्यूचर्स ट्रेडिंग रुकने के बाद किसानों और FPOs को यह अंदाज़ा लगाना कठिन हो गया है कि उन्हें कौन-सी फसल बोनी चाहिए और कब बेचनी चाहिए. इससे न सिर्फ उत्पादन की योजना गड़बड़ा रही है, बल्कि निजी निवेश में भी गिरावट आई है. प्रोसेसर्स और व्यापारियों के लिए भी स्थिति कठिन हो गई है, क्योंकि अब उनके पास मूल्य जोखिम से निपटने का कोई ठोस जरिया नहीं बचा है. इसकी वजह से बाज़ार में अपारदर्शिता बढ़ी है और कई बार अफवाहें भी फैलती हैं, जिससे सभी को नुकसान होता है.

रिसर्च स्टडीज़ से भी मिला समर्थन

BIMTECH और IIT Bombay की रिपोर्टों में यह साफ तौर पर बताया गया कि फ्यूचर्स ट्रेडिंग का दाम बढ़ने से कोई सीधा संबंध नहीं है. इसके उलट, यह किसानों, व्यापारियों और प्रोसेसर्स को दामों की दिशा समझने में मदद करता है, जिससे वे बेहतर योजना बना पाते हैं. रिपोर्ट यह भी बताती हैं कि फ्यूचर्स मार्केट के बिना स्थानीय मंडियों में दामों की अनिश्चितता और खुदरा स्तर पर मूल्य में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है.

पूरी इंडस्ट्री की एकजुट आवाज़

बैठक में भाग लेने वाले संगठनों जैसे Utthan Mustard Producer Company, Deeg Wheat & Mustard Producer Company, COOIT, SEA, IVPA, CPAI और MOPA ने मिलकर यह बताया कि फ्यूचर्स ट्रेडिंग पर रोक ने खासकर छोटे किसानों को बाजार से दूर कर दिया है. पहले ये किसान फ्यूचर्स मार्केट के जरिए सही समय और सही दाम का अनुमान लगा पाते थे, जिससे उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिल जाता था.

बैठक में जारी हुआ संयुक्त घोषणा पत्र

बैठक के अंत में सभी स्टेकहोल्डर्स ने एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें सरकार और SEBI से तीन प्रमुख अपीलें की गईं. पहली, फ्यूचर्स ट्रेडिंग को फिर से शुरू किया जाए. दूसरी, बाज़ार में पारदर्शिता लाने के लिए डेटा आधारित नियम बनाए जाएं, न कि अचानक प्रतिबंध लगाए जाएं. और तीसरी, किसानों, उद्योग संगठनों और एक्सचेंजों के बीच निरंतर संवाद जारी रखा जाए, ताकि नीति और ज़मीनी हकीकत में संतुलन बना रहे.

क्या है आगे की योजना?

इस संयुक्त घोषणा पत्र को जल्द ही कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और SEBI को सौंपा जाएगा. इसके साथ ही NCDEX और उसके साझेदार #VoiceForOil&Oilseeds अभियान को आगे बढ़ाते रहेंगे. इसके तहत जन-जागरूकता, डिजिटल मीडिया प्रचार और नीति संवाद के ज़रिए सरकार तक किसानों और उद्योग की आवाज़ पहुँचाई जाएगी.

तेल और तिलहन क्षेत्र के सभी हितधारकों की एक साझा मांग है कि फ्यूचर्स ट्रेडिंग को दोबारा शुरू किया जाए. यह कदम न केवल किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने में मदद करेगा, बल्कि उद्योग को भी स्थिरता और पारदर्शिता प्रदान करेगा. अगर यह निर्णय लिया जाता है, तो भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक पहल साबित हो सकती है.

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