
भारत में खट्टे फल यानी सिट्रस फ्रूट्स की खेती किसानों के लिए नकदी फसल का मजबूत विकल्प बन चुकी है. संतरा, मौसमी, नींबू और किन्नू जैसे फल न सिर्फ घरेलू बाजार में मांग रखते हैं, बल्कि प्रोसेसिंग और निर्यात की भी अच्छी संभावनाएं देते हैं. रबी सीजन में सिट्रस फसलों की भूमिका बेहद अहम होती है. लेकिन अच्छी पैदावार और बेहतर कीमत तभी मिलती है, जब फसल कटाई के बाद सही देखभाल और प्रबंधन किया जाए.
रबी सीजन में भारत के कई हिस्सों में खट्टे फलों की खेती की जाती है. इस दौरान मुख्य रूप से संतरा, मौसमी, किन्नू और नींबू की फसल तैयार होती है. संतरा और मौसमी की कटाई आमतौर पर नवंबर से फरवरी के बीच होती है. किन्नू की खेती पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है. वहीं नींबू की फसल साल भर आती है, लेकिन रबी सीजन की फसल की गुणवत्ता बेहतर मानी जाती है. अगर किसान कटाई के बाद इन छोटी लेकिन अहम ट्रिक्स को अपनाते हैं, तो सिट्रस फलों की शेल्फ लाइफ बढ़ती है, नुकसान कम होता है और बाजार में बेहतर कीमत मिलती है. रबी सीजन में सिट्रस फलों की खेती तभी ज्यादा लाभकारी बन सकती है, जब खेत से लेकर बाजार तक सही प्रबंधन किया जाए.
सिट्रस फलों की गुणवत्ता सीधे तौर पर कटाई के समय पर निर्भर करती है. अधपके फल जल्दी खराब हो जाते हैं और ज्यादा पके फल ट्रांसपोर्टेशन के दौरान नुकसान उठाते हैं. कटाई हमेशा सुबह या शाम के समय करनी चाहिए, जब तापमान कम हो. फल को डंठल सहित काटना बेहतर रहता है, ताकि स्टोरेज के दौरान सड़न की समस्या न हो. कटाई के तुरंत बाद फलों को साफ पानी से धोना बेहद जरूरी है. इससे फल की सतह पर लगी धूल, कीटनाशक अवशेष और फफूंद के बीजाणु हट जाते हैं.
इसके बाद फलों को छायादार और हवादार जगह पर सुखाना चाहिए. सीधी धूप में रखने से फल की नमी तेजी से खत्म होती है और उसकी चमक भी खराब हो जाती है. फलों की ग्रेडिंग एक बेहद जरूरी ट्रिक है. छोटे, बड़े और दाग-धब्बे वाले फलों को अलग-अलग करना चाहिए. इससे बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं और खराब फल अच्छे फलों को नुकसान नहीं पहुंचाते. अगर संभव हो तो फलों को हल्के फफूंदनाशक घोल में डुबोकर निकालना चाहिए, इससे स्टोरेज लाइफ बढ़ जाती है.
सिट्रस फलों की पैकिंग हमेशा हवादार क्रेट या कार्टन में करनी चाहिए. प्लास्टिक की थैलियों में बंद करके रखने से फल जल्दी खराब होते हैं. भंडारण के लिए ठंडी और सूखी जगह सबसे उपयुक्त होती है. 5 से 10 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फल ज्यादा समय तक ताजे रहते हैं. कटाई के बाद सिर्फ फलों की ही नहीं, बल्कि पौधों की देखभाल भी बेहद जरूरी होती है. इस समय हल्की छंटाई करनी चाहिए, जिससे पौधे को नई बढ़वार में मदद मिले. संतुलित खाद और माइक्रोन्यूट्रिएंट का प्रयोग अगली फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है. सिंचाई और रोग नियंत्रण पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.
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