Rice Export: तेलंगाना ने बढ़ाया चावल निर्यात का दायरा, फिलीपींस के बाद अफ्रीकी बाजार पर नजर

Rice Export: तेलंगाना ने बढ़ाया चावल निर्यात का दायरा, फिलीपींस के बाद अफ्रीकी बाजार पर नजर

तेलंगाना ने पहली बार फिलीपींस को MTU 1010 वैरायटी का चावल निर्यात किया है और अब पश्चिम अफ्रीकी देशों में पारबॉयल्ड राइस भेजने की तैयारी में है. राज्य में चावल उत्पादन तीन गुना बढ़कर 2 करोड़ टन पार कर गया है और सरकार टिकाऊ व जलवायु-अनुकूल खेती को बढ़ावा दे रही है.

BIRC 2025 Telangana Rice Export DealBIRC 2025 Telangana Rice Export Deal
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 01, 2025,
  • Updated Nov 01, 2025, 6:00 AM IST

देश के प्रमुख धान (चावल) उत्‍पादक राज्‍य तेलंगाना ने अब पारंपरिक खरीदारों से आगे बढ़ते हुए अपने चावल के निर्यात का दायरा बढ़ा लिया है. राज्‍य के सिविल सप्‍लाइज कॉरपोरेशन ने पहली बार फिलीपींस को चावल निर्यात किया है. यह MTU 1010 वैरायटी का लॉन्‍ग ग्रेन स्‍टिकी राइस है, जो वहां काफी पसंद किया जा रहा है. तेलंगाना सरकार के सलाहकार एस. मोहंती ने ‘भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्‍फ्रेंस (BIRC)’ प्रदर्शनी के दौरान यह जानकारी दी. मोहंती ने बताया कि अब तेलंगाना की नजर अफ्रीकी देशों, खासकर नाइजीरिया और पश्चिम अफ्रीका के अन्य देशों पर है, जहां पारबॉयल्‍ड राइस की बड़ी मांग है.

'धान की खेती में जबरदस्‍त बढ़ोतरी हुई'

उन्‍होंने कहा कि पिछले एक दशक में तेलंगाना में धान की खेती में जबरदस्‍त बढ़ोतरी हुई है. रकबा तीन गुना बढ़ा है और इस साल मिल्‍ड राइस उत्‍पादन 2 करोड़ टन से अधिक पहुंच गया है. राज्‍य की वार्षिक जरूरत लगभग 50 लाख टन है. केंद्र के पूल में बिक्री के बाद भी तेलंगाना के पास करीब 50 से 60 लाख टन चावल बच जाता है. यही अधिशेष अब निर्यात और टिकाऊ खेती के नए अवसर पैदा कर रहा है.

टिकाऊ और जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा दिया: एस. मोहंती

मोहंती ने बताया कि तेलंगाना सरकार अब टिकाऊ और जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा दे रही है. राज्‍य ऐसे पर्यावरण-सचेत कृषि तरीकों को प्रोत्‍साहित कर रहा है जिनमें कम पानी की जरूरत होती है और मीथेन उत्‍सर्जन घटता है. उन्‍होंने कहा, “हम किसानों को बिना खेत में पानी भरे चावल उगाने और कम पानी वाली किस्‍में अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. कुछ नई वैरायटी ऐसी हैं जो कम मीथेन छोड़ती हैं, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव घटता है.”

मोहंती ने कहा कि किसानों को किसी दबाव में नहीं, बल्कि बाजार की मांग के अनुसार बदलाव लाना चाहिए. “जब आप किसानों पर दबाव डालते हैं, तो वे उत्‍पादन घटने के डर से हिचकिचाते हैं. हम इसे मांग-आधारित बना रहे हैं. अगर वे टिकाऊ तरीके से चावल उगाते हैं, तो उन्‍हें सुनिश्चित बाजार और बेहतर कीमत मिलती है. इससे किसान अधिक उत्‍साहित होते हैं.”

तेलंगाना पर अमेरिकी टैरिफ का असर नहीं: मोहंती

उन्‍होंने बताया कि अब किसान भी इको-फ्रेंडली उत्‍पादन में अधिक रुचि दिखा रहे हैं, क्‍योंकि निर्यात बाजार में ऐसी उपज को प्रीमियम दर मिल रही है. अमेरिकी टैरिफ के असर पर मोहंती ने कहा कि तेलंगाना पर इसका असर नहीं है, क्‍योंकि राज्‍य बासमती नहीं उगाता. उन्‍होंने बताया, “तेलंगाना सोना थोड़ी मात्रा में अमेरिका जाता है, लेकिन उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है,”
मोहंती ने अनुमान जताया कि 2030 तक भारत का चावल अधिशेष 3 करोड़ टन तक पहुंच सकता है.

उन्‍होंने कहा कि भारत को अब कुछ लोकप्रिय किस्‍मों तक सीमित रहने के बजाय निर्यात में विविधता लानी होगी. उन्‍होंने कहा, “भारत में करीब 20,000 किस्‍में हैं, लेकिन निर्यात सिर्फ 5-10 पर ही होता है. कई पारंपरिक किस्‍में पोषक हैं और उनका ग्‍लाईसेमिक इंडेक्‍स भी कम है. तेलंगाना सोना का GI 50 से कम है.”

मोहंती ने अंत में कहा कि भारत का भविष्‍य विविध और स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक चावल किस्‍मों को वैश्विक बाजार में बढ़ावा देने में है. “भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बना रहेगा, लेकिन हमें टिकाऊ खेती, अधिक पौष्टिक चावल और प्रीमियम बाजारों पर फोकस करना होगा, ताकि अधिक मूल्‍य प्राप्‍त किया जा सके.” (एएनआई)

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