Delhi में भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस का हुआ आगाज, पहले दिन 3 हजार करोड़ के MoU साइन

Delhi में भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस का हुआ आगाज, पहले दिन 3 हजार करोड़ के MoU साइन

दिल्ली में शुरू हुई भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस 2025 में एआई, व्यापार और किसान सशक्तिकरण पर जोर दिया गया. पहले दिन 3,000 करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए. 80 देशों के प्रतिनिधियों और 7,800 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, किसानों को सम्मानित किया गया.

BIRC 2025 StartBIRC 2025 Start
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 31, 2025,
  • Updated Oct 31, 2025, 1:13 PM IST

राजधानी दिल्‍ली के भारत मंडपम में दो दिवसीय ‘भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BIRC) 2025’ की गुरुवार को शुरुआत हुई. यह आयोजन भारत के कृषि और निर्यात क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक अवसर माना जा रहा है. सम्मेलन में पहले ही दिन 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के एमओयू साइन हुए, जिनमें बिहार के GI टैग वाली ‘कतरनी चावल’ समेत कई प्रीमियम किस्मों से जुड़े समझौते भी शामिल हैं. इस कार्यक्रम का आयोजन एपीडा (APEDA), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और अन्य सरकारी व औद्योगिक संस्थाओं के सहयोग से किया गया है. सम्मेलन में दुनिया भर से 80 देशों के प्रतिनिधि, निर्यातक, नीति निर्माता और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ शामिल हुए हैं. पहले दिन 7,800 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

एआई आधारित राइस सॉर्टिंग सिस्टम का शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत भारत के पहले एआई-आधारित राइस सॉर्टिंग सिस्टम के लाइव लॉन्च से हुई. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय आयातकों द्वारा भारत के 17 उत्कृष्ट किसानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने भारतीय चावल को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है.

सम्मेलन में उन्नत प्रोसेसिंग मशीनरी और अत्याधुनिक तकनीकी समाधानों का भी प्रदर्शन किया गया, जिनसे धान उत्पादन में सटीकता, गुणवत्ता और दक्षता बढ़ाने पर जोर दिया गया.

आयोजकों के अनुसार, इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत 1.8 लाख करोड़ रुपये के वैश्विक चावल व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य रखता है. अनुमान है कि सम्मेलन के दौरान करीब 25,000 करोड़ रुपये के करार हो सकते हैं.

किसानों को केंद्र में रखकर नई दृष्टि

इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने अपने मुख्य भाषण में कहा, “किसान ही इस सम्मेलन की आत्मा हैं. उनकी मेहनत ने भारतीय चावल को विश्व बाजार में अग्रणी बनाया है. अब हमारा लक्ष्य ‘विकसित भारत 2047’ की दिशा में ऐसे कृषि तंत्र का निर्माण करना है, जहां हर किसान को गरिमा और उचित अवसर मिले.” उन्होंने कहा कि एआई और प्रिसिजन प्रोसेसिंग जैसी तकनीकें भारत को कृषि उत्कृष्टता के नए युग में ले जाएंगी.

सम्मानित किए गए देशभर के नामी किसान

कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के किसानों को सम्मानित किया गया- पश्चिम बंगाल के आनंद मालिक (गोविंदभोग), ओडिशा के सुरेंद्र मस्‍ती (कलाजीर-कोरापुट), उत्‍तर प्रदेश के मंजुल प्रताप सिंह और अजय सिंह (देहरादूनी बासमती), जम्मू-कश्मीर के जफर अहमद भट (मुष्कबुजी), मणिपुर के खांगेनबम शामुसाबा सिंह (चाक हाओ ब्लैक राइस), असम के महान चंद्र बोरा (जोहा), बिहार के सुबोध चौधरी (कतरनी), और केरल के जनार्दनन कारोत वीटिल व इंदिरा पी. (कैपड राइस) सहित अन्य किसान शामिल थे.

विशेषज्ञों की चार सत्रों में गहन चर्चा

पहले सत्र ‘ग्लोबल राइस मार्केट इवोल्यूशन’ में विशेषज्ञों ने भारत की निर्यात विविधता, वैश्विक मांग और स्थायी आपूर्ति की भूमिका पर चर्चा की. इस सत्र में ICRIER के अशोक गुलाटी, IREF के प्रेम गर्ग, TREA-K के बी.वी. कृष्णा राव, Olam Agri के नितिन गुप्ता और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे.

दूसरे सत्र ‘शिपिंग लॉजिस्टिक्स फॉर राइस ट्रेड’ में परिवहन लागत, सप्लाई चेन बाधाओं और निर्यात प्रक्रिया में सुधार पर बात हुई.

तीसरे सत्र ‘इंप्रूविंग राइस एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन’ में FAO, EY और Varaha के विशेषज्ञों ने जलवायु-स्मार्ट खेती और पौष्टिक चावल पर चर्चा की.

अंतिम सत्र ‘वैल्यू एडिशन इन राइस’ में ब्रांडिंग, पैकेजिंग और तकनीकी नवाचार को भारतीय निर्यात के प्रीमियमाइजेशन का प्रमुख चालक बताया गया.

भारत की वैश्विक पहचान को नई उड़ान

आईआरईएफ ने कहा कि भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस सिर्फ व्यापार का मंच नहीं, बल्कि किसानों, नवाचार और सतत विकास का संगम है. सम्मेलन के दूसरे दिन भी व्यापारिक वार्ताएं और विशेष सत्र जारी रहेंगे. यह आयोजन भारत को वैश्विक चावल व्यापार के केंद्र में लाने और किसानों को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है. (एएनआई)

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