आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. आपने आलू का सेवन भी खूब किया होगा, लेकिन क्या आपने कभी जामुन की तरह दिखने वाले आलू यानी बैंगनी रंग के आलू खाएं या देखे हैं. शायद आपका जवाब होगा नहीं. ऐसे में आपको बता दें कि अब बाजार में बैंगनी कलर का आलू आ गया है. आलू की इस किस्म का नाम कुफरी जमुनिया है. इस किस्म का आलू दिखने में बिल्कुल जामुन की तरह होता है. वहीं खेती करने पर ये किस्म मात्र 90 दिनों में तैयार हो जाता है. साथ ही इस आलू की किस्म की कई खासियतें भी हैं. आइए जानते हैं.
कुफरी जमुनिया आलू की पहली बैंगनी गूदे वाली किस्म है. इस किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने विकसित किया है. वहीं, ये कुफरी जमुनिया किस्म मात्र 90 दिनों में तैयार हो जाती है. साथ ही इसकी उपज छमता 320-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसके अलावा इस किस्म को लंबे समय तक भंडारण करके रखा जा सकता है.
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जामुनी रंग के इस आलू में अधिक मात्रा में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेट तत्व पाए जाते हैं. ये एंटीऑक्सिडेंट तत्व बुढ़ापे की प्रक्रिया को रोकते हैं. इस आलू को खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है. देखने में यह आलू जामुन की तरह लगता है, लेकिन खाने में इसका स्वाद आलू की तरह ही होता है. वहीं, सामान्य आलू के मुकाबले इस जामुनी रंग के आलू में अरारोट की मात्रा बहुत कम होती है. इसी वजह से इसका रंग जामुनी होता है.
आलू की अगेती फसल की बुवाई 15 सितंबर से शुरू हो जाती है. बुवाई का समय 15 से 25 अक्टूबर तक है. वहीं, अच्छी पैदावार के लिए किसानों को जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी का चयन करना चाहिए. फिर खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई कर मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए. एक लाइन से दूसरी लाइन की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखें. वहीं, पौधों से पौधों के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. 1 एकड़ में 14 क्विंटल शुद्ध बीज की जरूरत होती है. अच्छी पैदावार के लिए किसान बुवाई के समय 70 किलो नाइट्रोजन, 35 किलोग्राम फास्फेट और 40 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें.