बंद पड़ीं 600 चावल मिलें फिर से चलेंगी, किसानों को सही कीमत और 2 लाख लोगों को रोजगार मिलने का रास्ता खुलेगा

बंद पड़ीं 600 चावल मिलें फिर से चलेंगी, किसानों को सही कीमत और 2 लाख लोगों को रोजगार मिलने का रास्ता खुलेगा

केंद्र सरकार ने चावल की घरेलू आपूर्ति बरकरार रखने के साथ ही कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए बीते साल जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगाया था. अब सरकार ने यह प्रतिबंध हटा दिया है. फैसले से 600 चीनी मिलों के फिर खुलने का भी रास्ता साफ हो गया है, जिससे 2 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा.

पश्चिम बंगाल में 500-600 मिलें एक साल से बंद हैं.पश्चिम बंगाल में 500-600 मिलें एक साल से बंद हैं.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 30, 2024,
  • Updated Sep 30, 2024, 1:09 PM IST

केंद्र सरकार ने बीते दिनों गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. इससे चावल के निर्यात में बढ़ोत्तरी को देखते हुए कारोबारियों और किसानों को लाभ पहुंचने की बात कही जा रही है. जबकि, सरकार के निर्यात खोलने से 1 साल से बंद पड़ीं करीब 600 चावल मिलों को भी फिर खोला जाएगा. इससे किसानों को अपनी उपज का सही दाम पाने का रास्ता तो साफ होगा ही, बल्कि 2 लाख से अधिक लोगों को रोजगार भी मिलेगा. 

केंद्र सरकार ने चावल की घरेलू आपूर्ति बरकरार रखने के साथ ही कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए बीते साल जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगाया था. अब सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के विदेशी शिपमेंट पर प्रतिबंध हटा दिया है और 490 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने नोटीफिकेशन भी जारी कर दिया है. इस फैसले से चावल उद्योग से जुड़े लोगों, कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है. 

मिलें चालू होने से किसानों को सही दाम मिलेगा 

एजेंसी के अनुसार बंगाल राइस मिल्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि सरकार के इस कदम से पश्चिम बंगाल में 500-600 चावल मिलों को फिर से खोलने में मदद मिलने की उम्मीद है. यह मिलें गैर बासमती सफेद चावल पर निर्यात रोक के चलते मांग में आई कमी की वजह से पिछले एक साल से बंद थीं. उन्होंने कहा कि निर्यात पर बैन हटने से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बेहतर कीमत मिल सकेगी. 

25 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा 

पश्चिम बंगाल में 1400-1500 मिलों में हैं. इनमें से 500-600 मिलें एक साल से अधिक समय से बंद हैं और इसकी वजह कमजोर निर्यात मांग और बढ़ते घाटा है. राइस मिल्स एसोसिएशन के अनुसार औसतन प्रत्येक मिल में लगभग 500 लोगों को रोजगार देती है. इस तरह से 2 लाख से अधिक लोगों को रोजगार का रास्ता भी साफ हो गया है. 

275 लाख टन उत्पादन पहुंचने की उम्मीद  

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार इस वर्ष 413 लाख हेक्टेयर में चावल की खेती की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 404 लाख हेक्टेयर की तुलना में करीब 9 लाख हेक्टेयर अधिक है. ऐसे में बंपर चावल उत्पादन और सरप्लस स्टॉक 31 मार्च 2025 तक 275 लाख मीट्रिक टन बढ़ने की संभावना है.  ऐसे में सरकार को भंडारण में दिक्कत और रखरखाव लागत में बढ़ोत्तरी का सामना करना पड़ सकता था. 

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