दुनिया की प्रमुख फसल पोषण कंपनी यारा इंटरनेशनल की भारतीय इकाई यारा इंडिया ने अपनी तीसरी सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट 2024 का विमोचन किया. इस रिपोर्ट का शीर्षक है- "Greener Pathways: Fostering a Nature-Positive Food Future". यह रिपोर्ट दिल्ली स्थित रॉयल नॉर्वेजियन एम्बेसी में जारी की गई और इसमें यारा इंडिया की पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) के क्षेत्र में प्रगति को दर्शाया गया है.
यारा इंडिया ने अपने कार्यक्रमों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे FarmCare और YaraConnect के जरिए 6.5 लाख से अधिक किसानों तक पहुंच बनाई है. यह पहल किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने और बेहतर उत्पादन पाने में मदद करती है.
कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उसने:
यारा इंडिया ने महिला सशक्तिकरण पर खास ध्यान दिया है. कंपनी का लक्ष्य है कि 2025 तक सीनियर नेतृत्व में 30% महिलाएं हों. साथ ही, महिला किसानों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. यारा लीडरशिप एकेडमी के तहत उत्तर प्रदेश और बिहार में 699 महिला व युवा नेतृत्व वाले MSMEs को 15 हफ्तों का प्रमाणित प्रशिक्षण दिया गया, जिससे वे अपने व्यवसाय को सतत रूप से बढ़ा सकें.
यारा की "किरण – यारा इंडिया कम्युनिटी इनिशिएटिव" के तहत:
कंपनी ने अपने संचालन में एक भी भ्रष्टाचार की पुष्टि नहीं होने की जानकारी दी. यारा के सभी कार्य भ्रष्टाचार जोखिम के लिए जांचे जाते हैं. कंपनी का "कोड ऑफ कंडक्ट", "एंटी-ब्राइबरी", "व्हिसलब्लोअर" और "POSH" जैसे नीतियों के जरिए ईमानदारी को प्राथमिकता दी जाती है.
रिपोर्ट में यारा इंडिया की आगे की रणनीतियों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें शामिल हैं:
संजिव कंवर, मैनेजिंग डायरेक्टर, यारा साउथ एशिया ने कहा, "सस्टेनेबिलिटी हमारे काम करने का तरीका है. हम किसानों को सशक्त बना रहे हैं, महिलाओं को आगे बढ़ा रहे हैं और एक प्राकृतिक, टिकाऊ कृषि भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. यह रिपोर्ट हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है."
मय-एलिन स्टेनर, भारत, श्रीलंका और भूटान में नॉर्वे की राजदूत ने कहा: "नॉर्वे के लिए सस्टेनेबिलिटी एक अहम प्राथमिकता है. यारा इंडिया की यह रिपोर्ट नॉर्वे की जिम्मेदार व्यापार और जलवायु एक्शन की सोच को दर्शाती है." यारा इंडिया, किसानों, समुदायों और सरकार के साथ मिलकर भारत की कृषि व्यवस्था को अधिक जलवायु-स्मार्ट, समावेशी और लचीला बना रही है. यह रिपोर्ट यारा की उस सोच को दर्शाती है जो खेती को सिर्फ उत्पादन का जरिया नहीं, बल्कि एक हरित और टिकाऊ भविष्य का रास्ता मानती है.
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