रबी फसलों की कटाई खत्म होने के साथ ही किसानों ने खरीफ की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके लिए पहला काम खेत की तैयारी और बीज की खरीद है. खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान और इसकी पौध जून में डाली जाएगी. लेकिन किसानों ने बीज खरीद कर रखना शुरू कर दिया है. बासमती धान की बात करें तो पहले मार्च में पूसा, नई दिल्ली में इसके बीज की बिक्री की गई और अब एपिडा के अधीन आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के मोदीपुरम, मेरठ स्थित फार्म में इसे बेचा जा रहा है. यह फार्म सिवाया रेल फाटक, कृषि विश्वविद्यालय परिसर के पास है. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को बासमती की खेती के लिए जीआई टैग मिला हुआ है. इन्हीं सूबों के किसान बीज की खरीद करने आ रहे हैं.
बीईडीएफ के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितेश शर्मा ने 'किसान तक' को बताया कि बासमती बीज का वितरण 20 अप्रैल से शुरू किया गया है. पहले ही दिन किसानों ने लगभग 500 क्विंटल बीज खरीदा है. जिसके बदले उन्होंने 45 लाख रुपये खर्च किए.
फाउंडेशन ने इस साल 1400 क्विंटल बीज बनाया है. यहां के बीज प्रमाणिक होते हैं इसलिए किसान यहां से खरीदना पसंद करते हैं. पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर बीज की बिक्री हो रही है.
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मेरठ स्थित बीईडीएफ न सिर्फ बासमती के एक्सपोर्ट में मदद के लिए मशहूर है बल्कि अच्छा बीज बनाने वालों में भी इसका नाम आता है. इस बार पिछले वर्ष से अधिक बीज तैयार किया गया है. यहां पर मुख्य रूप से पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1718 एवं पूसा बासमती 1509 बीज की मांग ज्यादा है. यह सभी बीज 90 रुपए प्रति किलो की दर से 10 किलो की पैकिंग में उपलब्ध हैं. पूसा 1121 भी है, लेकिन उसकी मात्रा बहुत कम है.
यहां पर बीज खरीदने आने वाले किसानों को बासमती खेती की हर जानकारी दी जाएगी. कृषि वैज्ञानिक बताएंगे कि किस तरह से इसकी खेती की जाए ताकि निर्यात योग्य बासमती चावल पैदा हो. इससे देश को विदेशी मुद्रा मिले और किसानों की कमाई बढ़े. पूसा बासमती-1121 अब 1718 में भी कन्वर्ट हो गया है और इसका बीज पर्याप्त है. शर्मा का कहना है कि किसान भाई बासमती धान की नर्सरी जून के पहले सप्ताह में डाल दें तो अच्छा रहेगा.
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