कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में किसानों को समय पर बीज नहीं मिल रहे हैं. उन्हें अरहर के बीज खरीदने के लिए कतार में घंटों खड़ा होना पड़ रहा है. इससे किसानों में काफी नाराजगी है. दरअसल, दक्षिणी जिले में किसान अरहर की जीआरजी-811 और जीआरजी-152 जैसी कम अवधि वाली किस्में की काफी खेती करते हैं. ये दोनों किस्में विल्ट और स्टेरिलिटी मोजेक वायरस जैसी बीमारियों के लिए प्रतिरोधी हैं. यही वजह है कि मार्केट में इनकी बहुत मांग है.
कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय ने इन दोनों किस्मों को विकसित किया है. वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने इन रोग प्रतिरोधी किस्मों की बिक्री शुरू की है. कहा जा रहा है कि मंगलवार को एक ही दिन में 1 करोड़ रुपये की बिक्री हुई है. अभी बुवाई के सीजन के वजह से अरहर के बीजों की भारी मांग है. आईसीएआर-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (एटीएआरआई), जोन 11, बेंगलुरु के निदेशक वी वेंकटसुब्रमण्यन ने कहा कि केवीके कलबुर्गी ने एक ही दिन में 1 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 60 टन अरहर के बीज बेचकर एक मील का पत्थर हासिल किया है.
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केवीके कलबुर्गी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख राजू तेग्गेली ने कहा कि ये उन्नत किस्में लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे कम अवधि की होती हैं और विल्ट और बांझपन मोज़ेक वायरस के प्रति प्रतिरोधी होती हैं. केवीके कलबुर्गी ने पिछले साल के 40 टन से उत्पादन बढ़ाकर लगभग 110 टन कर दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन दिनों में, हमने अच्छी मांग के कारण अधिकांश बीज बेच दिए हैं. अरहर के बीज 5 किलोग्राम के बैग में 179 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचे जा रहे हैं, जो पिछले साल 159 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक है.
तेग्गेली ने कहा कि इस साल कलबुर्गी के आस-पास के जिलों जैसे बीजापुर और यादगीर में अरहर का रकबा बढ़ने की संभावना है. अरहर की बुआई अभी भी पूरे पैमाने पर शुरू नहीं हुई है, क्योंकि अधिकांश प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में मॉनसून से पहले छिटपुट बारिश हुई है. कर्नाटक प्रदेश लाल चना उत्पादक संघ के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने कहा कि इस साल रकबा बढ़ सकता है, लेकिन बीज और उर्वरक जैसे इनपुट की कीमतें बढ़ गई हैं. सरकार को बढ़ती इनपुट से निपटने के लिए किसानों को कुछ सहायता प्रदान करनी चाहिए. कर्नाटक कृषि विभाग खरीफ 2024-25 फसल सीजन में अरहर के लिए 15 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य बना रहा है. पिछले खरीफ सीजन में कर्नाटक में अरहर का रकबा 13.63 लाख हेक्टेयर था. अनियमित बारिश और विल्ट के फैलने से पिछले साल कलबुर्गी में अरहर की पैदावार प्रभावित हुई थी.
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