देशभर में इस समय रबी सीजन की बुवाई चल रही है. किसान सीजन की मुख्य फसलों गेहूं, सरसों, चना आदि की बुवाई के लिए डीएपी खरीदने में लगे हैं, जिससे उत्पादन अच्छा हो. लेकिन, कई राज्यों में डीएपी खाद को लेकर मारपीट की घटनाएं भी सामने आ रही है. पंजाब हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में किसानों की लंबी कतारें देखी गईं. कई जगहों पर खाद की कालाबाजारी की बात भी कही जा रही है. ऐसे में खाद लेने के लिए किसानों को कुछ दस्तावेज दिखाना अनिवार्य है. अगर आप खाद केंद्र पर लाइन में लग रहे हैं तो इन दस्तावेजों को साथ ले जाना न भूलें.
राज्यों में सहकारी समितियों और सरकारी खाद वितरण केंद्रों के माध्यम से डाई अमोनिया फॉस्फेट (डीएपी) किसानों को बेचा जा रहा है. ऐसे में देखा जा रहा है कि कई किसान जरूरत से ज्यादा खाद की मांग कर रहे है, जिससे कालाबाजारी की आशंका बढ़ जाती है. वहीं, केंद्राें पर भी प्रशासन की ओर से थोड़ी अव्यवस्था और अनियमितताओं से खाद की कमी का माहौल बनता दिख रहा है. यही वजह है कि अब किसानों को खाद वितरण केंद्रों पर वैध दस्तावेज दिखाने के बाद ही खाद मिलेगा. सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडाइज्ड डीएपी की कीमत 1350 रुपये हैं, जबकि बाहर बाजार से खरीदने पर किसानों को 1600 से 2100 रुपये तक कीमत चुकानी पड़ रही है.
खाद खरीदने के लिए सरकार की ओर से खेती की जमीन के साक्ष्य के रूप में खतौनी, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर देना होगा. इन तीनों दस्तावेजों के बिना डीएपी खाद नहीं मिलेगी. इसमें आगे सरकार की ओर से कई नियम तय किए गए है. सरकारी केंद्रों से खेत के क्षेत्रफल के आधार पर तय मात्रा में खाद दी जाएगी. इन नियमों का पालन कराने और खाद सुचारू रूप से वितरित कराने के लिए समितियों पर बड़े अफसरों समेत कई कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है.
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हाल ही में ताजा मामला मध्य प्रदेश में भी सामने आया, जहां कांग्रेस ने आरोप लगाया कि खाद न मिलने पर किसान ने आत्महत्या की है. वहीं, पुलिस और सरकार ने परिवार के हवाले से कहा कि किसान लंबे समय से बीमार था, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई. किसान ने मरने से पहले खाद न मिलने पर एक वीडियो जारी किया था. कांग्रेस ने यह वीडियो पोस्ट कर सरकार पर सवाल उठाए थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस रबी सीजन में डीएपी खाद को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी हरियाणा में देखने को मिली. किसान कई दिनों तक रोजना लंबी लाइनों में लगकर बिना खाद लिए निराश होकर लौटे तो वहीं कुछ जगहों पर किसानों ने हंगामा भी किया. यहां के किसान संगठनों और विपक्षी दल कांग्रेस ने भी खाद की कमी का मुद्दा उठाया. हालांकि, सरकार आंकड़े जारी कर खाद की पर्याप्त उपलब्धता की बात कहती रही.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी खाद के लिए किसान और महिलाएं लाइन में लगे दिखे, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सरकार को निशाने पर लिया था. कुछ दिन पहले झांसी में एक खाद वितरण केंद्र पर किसानों में मारपीट की घटना भी सामने आई थी.