मूंगफली भारत की प्रमुख तिलहनी फसल है. इसे गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में सबसे अधिक उगाया जाता है. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे अन्य राज्यों में भी इसे एक महत्वपूर्ण फसल माना जाता है. राजस्थान में इसकी बात करें तो यहां इसकी खेती लगभग 3.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है जिससे लगभग 6.81 लाख टन उत्पादन होता है. इसकी औसत उपज लगभग 1963 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. लेकिन मूंगफली में लगने वाले कुछ रोग जैसे सफेद गिडार कीट इसके लिए बहुत घातक हैं. यह फसल को पूरी तरह बर्बाद कर देते हैं जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है. ऐसे में आइए जानते हैं पहचान और उपचार का तरीका क्या है.
यह कीट पौधों की जड़ों को खाकर पूरे पौधे को सुखा देता है. यह कीट या इल्ली पीले-सफेद रंग का होता है, इसका सिर भूरा या लाल रंग का होता है. छूने पर ये गोल होकर गेंद की तरह हो जाता है. इसका वयस्क मूंगफली की फसल को नुकसान नहीं पहुंचाता. पहली बारिश के बाद यह पास के पेड़ों पर आकर मेटिंग करता है और 3-4 दिन बाद फिर खेतों में जाकर अंडे देता है. ऐसे में अगर वयस्क को पेड़ों पर ही मार दिया जाए तो इनकी संख्या में वृद्धि काफी कम हो जाएगी.
ये भी पढ़ें: रोपाई के लिए सब्जी की पौध ले जाते वक्त किन बातों का रखें ध्यान? अच्छी बढ़वार के लिए जरूरी है ये टिप्स
मॉनसून की शुरुआत में 2-3 दिन के अंदर वयस्क कीट को नष्ट करने के लिए नीम, अंजीर आदि पेड़ों पर कार्बेरिल 0.2% या मोनोक्रोटोफॉस 0.05% या फेन्थियन 0.03% या क्लोरपाइरीफॉस 0.03% का छिड़काव करें. मूंगफली बुवाई से 3-4 घंटे पहले क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. का छिड़काव करें. या बीजों को क्विनालफॉस 25 ई.सी. 25 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोएं. खड़ी फसल में प्रकोप होने पर क्लोरपाइरीफॉस या क्विनालफॉस रसायन 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई जल के साथ प्रयोग करें. एनी सोल फेरोमोन का प्रयोग करें.
ये भी पढ़ें: मॉडर्न कृषि तकनीक सीखने विदेश जाएंगे किसान, मूंगफली, मिर्च-मटर फसलों की पैदावार बढ़ाएगी राज्य सरकार
मूंगफली की अच्छी उपज पाने के लिए उर्वरकों का प्रयोग बहुत जरूरी है. लेकिन ध्यान रहे कि खाद का सही इस्तेमाल किया जाए. खाद का इस्तेमाल करने से पहले मिट्टी की जांच करना बहुत जरूरी है. लेकिन किसी कारण अगर मिट्टी की जांच नहीं कराया गया है तो 20 किग्रा नत्रजन, 30 किग्रा फास्फोरस, 45 किग्रा पोटाश (तत्व रूप में), 250 किग्रा जिप्सम और 4 किग्रा बोरेक्स प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है.
मूंगफली में खरपतवार और घासों की समस्या भी बड़ी होती है. इसका समय पर उपचार करना जरूरी होता है. इसके उपचार के लिए मूंगफली की बुवाई के 2 दिन के अंदर लैसो 50 ई.सी. (एलाक्लोर) को 5.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा ऑक्सीफ्लोरोफेन 23.5 ई.सी. की 600 मिली मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर या उपरोक्त अनुसार 240 से 250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से सभी खरपतवार नहीं उगते. बुवाई से तुरंत पहले वैसलीन 45 ई.सी. (फ्लूक्लोरेलिन) या ट्रेफ्लान 48 ई.सी. (ट्रेफ्लूरेलिन) 1500 मिली मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर या 600 मिली मात्रा में घोलकर बुवाई करने से घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर बहुत अच्छा नियंत्रण संभव है.