पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह देश में कृषि रिसर्च और इनोवेशन में अव्वल है. विश्वविद्यालय में विकसित गेहूं की दो प्रमुख किस्में — PBW 872 और PBW 833 — ने राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल स्थान हासिल किया है, जिससे न केवल विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ी है, बल्कि किसानों के बीच इसका भरोसा भी और मजबूत हुआ है.
PBW 872 को North Western Plains Zone (NWPZ) की जल्दी बोई जाने वाली, उच्च इनपुट वाली परिस्थितियों में 2024-25 फसल सीजन के राष्ट्रीय गेहूं किस्म परीक्षणों में सबसे अधिक उत्पादन देने वाली किस्म घोषित किया गया.
यह किस्म पहले भी इन परीक्षणों में बेहतरीन प्रदर्शन कर चुकी है और साल 2022 में पूरे NWPZ क्षेत्र के लिए इसे आधिकारिक तौर पर जारी किया गया था. इस क्षेत्र में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्से, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कठुआ, हिमाचल का ऊना और पांवटा घाटी, और उत्तराखंड का तराई क्षेत्र शामिल हैं.
PBW 872 किस्म पीली और भूरे रतुआ (rust) के प्रति मध्यम प्रतिरोध पाई गई है, जिससे रोगजनित नुकसान की आशंका कम हो जाती है. इसकी औसत परिपक्वता अवधि 152 दिन है और औसतन पौधे की ऊंचाई 100 सेमी रहती है, जिससे यह गिरने (lodging) की संभावना से भी बची रहती है.
इसके दाने बड़े और आकर्षक होते हैं, जिनका 1000 दानों का वजन औसतन 45 ग्राम रहता है, जो बाजार में अच्छी कीमत दिलाने में मदद करता है. यह किस्म धान–गेहूं प्रणाली में बहुत उपयुक्त मानी जा रही है.
PBW 833 को North Eastern Plains Zone (NEPZ) में देर से बोई गई फसल की एडवांस्ड वैरायटी ट्रायल में सबसे ज्यादा 45.7 क्विंटल/हेक्टेयर उपज के साथ टॉप पर पाया गया. यह ट्रायल 13 अलग-अलग स्थानों पर किया गया था.
अन्य गेहूं की किस्में जैसे DBW 107 और HD 3118 ने क्रमशः 42.5 और 40.9 क्विंटल/हेक्टेयर उपज दी. ऐसे में PBW 833 की अधिक उपज देने की क्षमता और स्पष्ट हो जाती है.