दालों की खेती से कई किसानों की जोरदार कमाई हो रही है. वहीं, दलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, क्योंकि उत्पादन में कमी होने के कारण हर साल दाल का आयात करना पड़ता है. वहीं, बाजारों में मूंग के दाल की डिमांड भी काफी तेजी से बढ़ रही है. दलहनी फसलों में मूंग एक महत्वपूर्ण फसल है. मूंग की खेती भारत के कुछ राज्यों में प्रमुख रूप से की जाती है. इस बीच किसान के लिए इसकी खेती बेहतर साबित हो सकती है. बशर्ते खेती सही तरीके से होनी चाहिए. यानी इसकी खेती के समय किसान अगर कुछ चीजों का ध्यान रखें तो बंपर उत्पादन ले सकते हैं. आइए जानते हैं कि बस सिंचाई और सही उर्वरक का ध्यान रख कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
मार्च के महीने में मूंग की खेती किसानों के लिए बेहतर है. इस खेती में सिंचाई का साधन होना चाहिए. मूंग की खेती में ज्यादा उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है. यह फसल लगभग 65 से 70 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं, इसकी खेती के लिए चार से साढ़े चार किलो बीज एक बीघा खेत के लिए पर्याप्त होते हैं. इसकी बुवाई करने के लिए सबसे पहले किसानों को पर्याप्त नमी में जुताई कर लेनी चाहिए. ध्यान रहे फसल पकने से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें. अच्छे से देखभाल करने पर एक बीघे में लगभग 10 से 14 क्विंटल तक मूंग की उपज मिल सकती है. इसके अलावा इससे हरा बायोमास भी मिलता है.
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किसानों को मूंग की बुवाई से पहले उसके बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर लेना चाहिए. फिर उपचारित बीज को तैयार की गई खेत में 5 से 6 सेंटीमीटर गहराई पर बुवाई करनी चाहिए. बता दें कि उपचारित बीज की बुवाई करने से बंपर पैदावार मिलती है. साथ ही इसकी खेती में रोग न लगे इसके लिए किसानों को फिनोल फास का इस्तेमाल करना चाहिए. बात करें मूंग की खेती में खाद के इस्तेमाल कि तो इसमें फास्फोरस वाले उर्वरकों का ही ज्यादा उपयोग करना चाहिए. साथ ही एक बीघा में लगभग 15 किलो फास्फोरस, 10 किलो पोटाश, 8 से 10 किलो गंधक का प्रयोग करें. वहीं, शुरू के दिनों में 5 किलो नाइट्रोजन की मात्रा आवश्यक होती है.
दलहनी फसलों में मूंग एक महत्वपूर्ण फसल है. मूंग की खेती भारत के कुछ राज्यों में प्रमुख रूप से की जाती है. इसकी खेती किसान खरीफ और जायद दोनों सीजन में अलग-अलग समय पर करते है. जायद सीजन में मार्च के प्रथम सप्ताह से अप्रैल तक बुवाई होती है. जबकि खरीफ सीजन में जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बुवाई होती है,
मूंग की खेती के लिए भूमि की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है. भूमि की दो से तीन बार जुताई करें. उसके बाद ढेलों को कुचलने और खरपतवारों को नष्ट करने के लिए हल्की जुताई करें. मूंग दाल के बीज बोने की विधि में मौसम का भी ध्यान रखना चाहिए. जायद की बुवाई के लिए पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी और पंक्ति की दूरी 30 सेमी रखने की सलाह दी जाती है. साथ ही खरीफ मूंग की खेती के लिए सबसे अच्छा समय जून से जुलाई तक का होता है.