भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग कर रहे हैं आम के पेड़ों को खोखला, एक्‍सपर्ट से जानिए बचाव के उपाय

भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग कर रहे हैं आम के पेड़ों को खोखला, एक्‍सपर्ट से जानिए बचाव के उपाय

Mango Cultivation Tips: बेलीपार (गोरखपुर) कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ फल एवं सब्जी वैज्ञानिक डॉक्टर एसपी सिंह के अनुसार बौर निकलते समय तीन मिली लीटर निंबीसिडीन प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. खर्रा एवं दहिया रोग के रोकथाम के लिए कैलेक्सीन 3 मिली एक लीटर पानी के घोल में डालकर छिड़काव करें.

Advertisement
भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग कर रहे हैं आम के पेड़ों को खोखला, एक्‍सपर्ट से जानिए बचाव के उपायबौर तो सलामत रहेंगे ही फल की उपज और गुणवत्ता भी बढ़ जाएगी

उत्तर प्रदेश आम का सर्वाधिक उत्पादक है. आम के रकबे और प्रजातियों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक है. इसका उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार संजीदा है. ऐसा तभी संभव है जब बौर लगने के साथ ही फसल की उचित देखरेख हो. मालूम हो कि मौसम के बासंती होने साथ ही आम की बगिया में बौर आने लगें हैं. बौर आने से लेकर फल आने तक का समय फसल के लिए खासा संवेदनशील होता है. इस समय फसल भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग के प्रति बेहद संवेदनशील होती है. समय से अगर इनकी रोकथाम कर ली जाय तो बेहतर फलत के साथ प्राप्त फलों की गुणवत्ता के नाते बागवानों को बाजार भाव भी अच्छा मिलता है.

ये कीट आम के रस चूस लेते हैं

भुनगा कीट का प्रकोप नई कोपलों इनमें लगने वाले बौर और इससे बनने वाले छोटे-छोटे फलों पर होता है. ये कीट इनके रस चूस लेते हैं. प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है. ये कीट प्रकोप वाले हिस्से पर शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जिसके नाते पत्तियों पर काले रंग की फंफूद जमा हो जाती है. इससे पत्तियों द्वारा होने वाला प्रकाश संश्लेषण (खाना बनाने की प्रक्रिया) प्रभावित होती है.

मंजरियां लगती हैं सूखने 

मिज कीट की मादा मंजरियों एवं तुरंत बने फलों और मुलायम कोपलों अंडे देती हैं. ये अंडे सूड़ी में बनकर फलों और कोपलों को अंदर-अंदर ही खाकर क्षति पहुंचाते हैं. प्रभावित हिस्सा काला पड़कर सूख जाता है. खर्रा रोग के प्रकोप की दशा में प्रभावित फल और डंठल सफेद चूर्ण जैसी फंफूद दिखाई देती है. प्रभावित हिस्सा पहले पीला दिखता है, इसके बाद मंजरियां सूखने लगती हैं.

रोकथाम के एकीकृत उपाय: डॉ एस पी सिंह

बेलीपार (गोरखपुर) कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ फल एवं सब्जी वैज्ञानिक डॉक्टर एसपी सिंह के अनुसार बौर निकलते समय तीन मिली लीटर निंबीसिडीन प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. खर्रा एवं दहिया रोग के रोकथाम के लिए कैलेक्सीन 3 मिली एक लीटर पानी के घोल में डालकर छिड़काव करें. दूसरा छिड़काव कार्बोरिल 0.2 या क्वीनालफास 1.3 मिली और इंडोफिल एम- 45/ दो ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें.

इस घोल का करें इस्तेमाल

डॉक्टर एसपी सिंह ने कहा कि फूल खिलने या दाने सेट होने के दौरान मार्शल 1.5 मिली या कंटाफ प्लस 1.5 मिली प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें. ईंट भट्टों के पास के बाग के फल उनसे निकलने वाली सल्फरडाई आक्साइड गैस से काले पड़ जाते हैं. इसे रोकने के लिए फल जब मटर के दाने के बराबर के हो जाय तो पांच ग्राम कास्टिक सोडा प्रति लीटर पानी के दर से छिड़काव करें. इसी दौरान सूक्ष्म पोषक (मल्टीमैक्स या वोरेक्स) एक ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें.

नोट-फसल जब पूरी तरह बौर से लदे हों तब रासायनिक दवाओं का छिड़काव न करें. इससे परागण प्रक्रिया प्रभावित होने से खासी क्षति संभव है. बता दें कि आम सभी फलों का राजा है. अपने सीजन के दौरान स्वाद और बिक्री में इसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता. लेकिन आम को एक फल के रूप में आप तक पहुंचाने के लिए कई जतन करने पड़ते हैं.

ये भी पढ़ें-

यूपी में 3 दिनों तक आंधी-तूफान के साथ बारिश की संभावना, IMD ने जारी किया अलर्ट

Agri Drone: खेती में यूज होने वाले ड्रोन के हैं 4 फायदे, समझ लीजिए इससे जुड़ी बारीकियां

POST A COMMENT