Seed Priming: जानिए क्‍या है बीज प्राइमिंग, क्‍यों अच्‍छी फसल के लिए है जरूरी 

Seed Priming: जानिए क्‍या है बीज प्राइमिंग, क्‍यों अच्‍छी फसल के लिए है जरूरी 

बीज प्राइमिंग उपज को बढ़ाने के लिए एक बहुत ही कुशल तकनीक मानी गई है और ज्‍यादातर देशों के किसान अब इसका प्रयोग करने लगे हैं. प्राइमिंग का असल मकसद दरअसल अंकुरण को तेज करना और अंकुरण के शुरुआती चरणों को सक्रिय करना है. प्राइम किए गए बीज सामान्य बीजों की तुलना में तेजी से अंकुरित होते हैं.

उपज को बढ़ाने के लिए एक कुशल तकनीक है सीड प्राइमिंग उपज को बढ़ाने के लिए एक कुशल तकनीक है सीड प्राइमिंग
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 13, 2025,
  • Updated Apr 13, 2025, 4:00 PM IST

सीड प्राइमिंग या बीज प्राइमिंग जिसके तहत बुवाई से पहले बीजों को और ज्‍यादा बेहतर करना. अक्‍सर आप लोगों ने बीज की बुवाई से पहले उसके ट्रीटमेंट यानी बीजोपचार के बारे में सुना होगा. यह दरअसल बीज प्राइमिंग का ही एक हिस्‍सा है. बीज प्राइमिंग बुवाई से पहले बीज ट्रीटमेंट का वह तरीका है जिसे किसान अंकुरण को बेहतर बनाने के लिए सदियों से इस्तेमाल करते आ रहे हैं. हाल के कुछ सालों में बीज प्राइमिंग ने अंकुरण में सुधार करने और शुरुआती अंकुर विकास में सुधार करने की अपनी क्षमता की वजह से सबका ध्‍यान अपनी तरफ खींचा है. 

क्‍या है प्राइमिंग और इसके फायदे 

बीज प्राइमिंग उपज को बढ़ाने के लिए एक बहुत ही कुशल तकनीक मानी गई है और ज्‍यादातर देशों के किसान अब इसका प्रयोग करने लगे हैं. प्राइमिंग का असल मकसद दरअसल अंकुरण को तेज करना और अंकुरण के शुरुआती चरणों को सक्रिय करना है. प्राइम किए गए बीज सामान्य बीजों की तुलना में तेजी से अंकुरित होते हैं.

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साथ ही इससे अंकुरण भी एक समान तरह से होता है और उसमें सुधार होता है. इसके अलावा प्राइमिंग यह भी सुनिश्चित करती है कि सभी बीज एक ही समय में अंकुरित हों जिससे फसल का एक समान होती है. इसके अलावा प्राइमिंग पानी और तापमान के तनावों के लिए प्रतिरोधात्‍मक क्षमता को और बेहतर बनाता है. साथ ही इससे बीजों की भंडारण क्षमता और उपज क्षमता भी बढ़तर है. 

पानी में भिगोए जाते बीज 

बीज प्राइमिंग एक ऐसी तकनीक है जो बीजों को अंकुरण के शुरुआती चरणों से बुवाई के लिए तैयार करती है और वह भी बिना उन्हें पूरी तरह से अंकुरित होने दिए. बीजों को एक निश्चित अवधि के लिए पानी में भिगोया जाता है ताकि वो ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी को ऑब्‍जर्व कर सकें. साथ ही अंकुरण के लिए जरूरी मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं को एक्टिवेट कर सकें. एक निश्चित अवधि के बाद नमी को हटाना महत्वपूर्ण है. 

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क्‍यों है अंकुरण के जरूरी 

प्राइमिंग की अवधि प्राइमिंग माध्यम, कई फसल के बीज, भौतिक और रासायनिक माध्यम, तापमान, प्रकाश की मौजूदगी, वेंटीलेशन और बीज की स्थिति जैसी विशेषताओं को प्रभावित कर सकती है. अंकुरण दर और समय अंकुर को भी प्रभावित कर सकती है. बीज प्राइमिंग उन परिस्थितियों में खासतौर पर फायदेमंद होती है जहां अंकुरण की स्थितियां खराब हैं. साथ ही सूखे या ठंडे तापमान जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बीजों को अंकुरित करने के लिए लाभदायक तकनीक है. 

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कितनी तरह की प्राइमिंग 

हाइड्रो प्राइमिंग (बीज की मात्रा से दोगुना पानी का उपयोग करें)
हेलोप्राइमिंग (नमक के घोल का उपयोग - NaCl का प्रयोग)
ऑस्मोप्राइमिंग (एंडोस्पर्मिक घोल का उपयोग - PEG)
सैंड मेट्रिक प्राइमिंग - (नम रेत का उपयोग) 

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