गेहूं की बुआई के मौसम से पहले ही पंजाब में डीएपी की किल्लत हो गई है. ऐसे में किसानों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. उन्हें डर है कि कहीं गेहूं और सरसों की बुवाई के समय प्रयाप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध न हो. इससे उपज भी प्रभावित हो सकती है. हालांकि, सरकार को उम्मीद है रबी सीजन के दौरान डीएपी की कोई कमी नहीं होगी. किसानों को भूरपूर उर्वरक मिलेगा. ऐसे भी पंजाब में गेहूं की बुआई 15 अक्टूबर के बाद शुरू होती है, जबकि दक्षिण-पश्चिम जिलों में नवंबर के पहले सप्ताह से बुआई शुरू होती है. खास बात यह है कि किसानों के सामने नकली खाद को लेकर भी परेशानी है. क्योंकि प्रदेश में धड़ल्ले से नकली धान बेची जा रही है.
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने बुधवार को बाजार में बेची जा रही नकली खाद और डीएपी की कमी के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया है. सबसे बड़ी कृषि यूनियन के राज्य महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने पंजाब भर के 16 जिलों में 17 जगहों पर धरना दिया. गेहूं की बुआई का समय आ रहा है और डीएपी की कमी है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां किसानों से कहा जा रहा है कि उन्हें डीएपी के हर बैग के साथ त रलीकृत नैनो डीएपी खरीदना होगा. हमें संदेह है कि इसमें आवश्यक पोषक तत्वों की कमी है, जो फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. राज्य के कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने हालांकि डीएपी की कमी से इनकार किया, लेकिन वह राज्य के पास उपलब्ध मौजूदा स्टॉक के आंकड़े साझा करने से हिचक रहे हैं.
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हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डीएपी मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को आपूर्ति की जाती है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल उपयोग गेहूं, आलू और सरसों की बुआई के दौरान किया जाता है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 2023 में केंद्र सरकार ने अगस्त महीने में राज्य के लिए 1.10 लाख टन उर्वरक निर्धारित किया था, जिसमें से पंजाब को 90,876 टन प्राप्त हुआ. 2024-25 रबी सीजन के लिए पंजाब को अनुमानित 5.50 लाख टन की जरूरत है, जिसमें गेहूं की बुवाई के लिए 4.80 लाख टन शामिल है. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि इस साल अगस्त में पंजाब को केवल 18,942 टन प्राप्त हुआ है, जबकि महीने के लिए आवंटन लक्ष्य 1.10 लाख टन था.
अधिकारी के मुताबिक 13 अगस्त को राज्य के पास 40,942 टन डीएपी स्टॉक में था. उन्होंने कहा कि 30 अगस्त को अतिरिक्त मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर उन्हें डीएपी की कमी से अवगत कराया. मोगा के सलीना गांव के प्रगतिशील किसान तरसेम सिंह ने कहा कि डीएपी की अनुपलब्धता ने गेहूं उत्पादकों को चिंतित कर दिया है. अगले कुछ दिनों में धान की कटाई के बाद हम गेहूं की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर देंगे. हमें आशंका है कि डीएपी की कम उपलब्धता से कालाबाजारी हो सकती है. मोगा में हाल ही में हुई एक घटना ने किसानों को और अधिक भयभीत कर दिया है, जब अधिकारियों ने बाजार में खुलेआम बेची जा रही नकली खाद बरामद की.
बठिंडा के बाजक गांव के एक अन्य गेहूं उत्पादक बलदेव सिंह ने कहा कि खाद न तो सहकारी दुकानों पर उपलब्ध है और न ही निजी दुकानों पर. बठिंडा के मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) जगसीर सिंह ने कहा कि जिले को रबी फसलों के लिए 42,000 टन की जरूरत है, जबकि केवल 9,100 टन की आपूर्ति की गई है. उन्होंने कहा कि बठिंडा में गेहूं की बुआई अक्टूबर के अंत में शुरू होती है और हमें आने वाले हफ्तों में और अधिक आवक की उम्मीद है. जिले को एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) जैसे डीएपी के विकल्प और अन्य विकल्प उर्वरकों की 1,800 टन आपूर्ति भी की गई है.
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