किसानों के लिए फसल बहुत अहमियत रखती है, वह अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के केमिकल युक्त कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग करते है. लेकिन वह आदमी जमीन को काफी नुकसान पहुंचाती है. ऐसे में मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में स्थित जंतु विज्ञान विभाग में निमेटोड पर शोध किया गया है. जिससे कि फसलों में लगने वाले कीट भी मर जाए और किसान को भी नुकसान ना हो.
किसान तक से खास करते हुए जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार चौबे ने बताया कि फसल में जो कीट लगते हैं, उससे किसानों को काफी नुकसान होता है. जिसके लिए कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव होता है. इन दवाइयों के उपयोग से कीट कुछ देर के लिए जमीन के अंदर चले जाते हैं और ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
ऐसे में निमेटोड पर शोध किया गया है. लैब में तो परीक्षण सफल रहा. इसका फील्ड में ट्रायल किया जा रहा है. इनके परिणाम आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. इसमें 6 माह का समय लग सकता है.
प्रोफेसर चौबे ने कहा कि स्टीनरनीमा और हैट्रोरैबडाइटिस निमेटोड पर यह शोध किया गया. शोध में सामने आया कि दोनों निमेटोड कीट के शरीर में प्रवेश हो जाते हैं. और जीनोरैबेडम व फोटोरैबडस बैक्टीरिया छोड़ते हैं. इन बैक्टीरिया से किट की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है. कमजोर होकर 24 से 72 घंटे में मर जाते हैं. इसके बाद किट अंदर लाखों पैदा होंगे जो कि बाद में मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाते हैं.
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इस प्रक्रिया में 7 से 8 दिन का समय लगेगा. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने इस निमेटोड को लैब के अंदर ठंडे तापमान में रखकर इसका प्रयोग किया है. यह बिल्कुल ऑर्गेनिक तरीके से किया गया है. दरअसल, फसलों में कीड़े जड़ों के दौरान ज्यादा लगते है, ऐसे में ऑर्गेनिक निमेटोड आने वाले दिनों में किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगा. जबकि शोध में इस रोग से बचाव के तरीके तो खोजे गए हैं, यह भी साबित हुआ है कि जैविक खेती से भी इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है.
प्रोफेसर अशोक कुमार चौबे ने बताया कि आने वाले समय में देश से लेकर प्रदेश तक का किसान इसे खुद अपने घर पर बनाकर अपने खेतों में छिड़काव कर सकता है. वहीं सबसे खास बात यह है कि बाजार में बिक रहे महंगे कीटनाशक दवाइयों से बहुत सस्ता होगा. जहां किसान आसानी से खरीद सकता है. उन्होंने बताया कि किसानों को जागरूकता की जरूरत है, अगर कृषि विभाग गांव-गांव में कैंप के जरिए किसानों को इस अनोखे ऑर्गेनिक निमेटोड की जानकारी दे तो किसानों की आमदनी डबल हो सकती है. वहीं फसल की लागत भी आसानी से निकल जाएगी.
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प्रोफेसर चौबे कहते हैं कि अगर यह प्रयोग कामयाब हुआ तो खेती के कारोबार में एक बड़ी क्रांति आ सकती है. आज विदेशों में ऑर्गेनिक निमेटोड के तर्ज पर किसान खेती कर रहे है. जबकि भारत में इस पर रिसर्च किया जा रहा है.
निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है. शरीर लंबा बेलनाकार व पूरा शरीर बिना खंडों का होता है. फसल के लिए यह परजीवी की तरह होता है, जो मिट्टी या पौधे की उतकों में रहते हैं और जड़ों पर आक्रमण करते हैं. किसान इसकी पहचान आसानी से नहीं कर पाते और कीटनाशक रसायनों का छिड़काव कर करते हैं. इससे फसल को ही नुकसान होता है.