Mango orchard: ये तीन महीने आम के बाग करते हैं आराम, खाद-पानी दिया तो नहीं लगेंगे फल, जानिए पूरी डिटेल

Mango orchard: ये तीन महीने आम के बाग करते हैं आराम, खाद-पानी दिया तो नहीं लगेंगे फल, जानिए पूरी डिटेल

आम के बाग जिसके पास हैं उनका सपना होता है कि उनके बाग में पेड़ों पर बंपर फल लगें. इसके लिए लोग साल भर मेहनत करते हैं—कभी खाद, कभी पानी, तो कभी कटाई-छंटाई. लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल में तीन महीने ऐसे आते हैं जब आम के पेड़ पर 'कोई भी काम न करना' ही सबसे 'बड़ा काम' होता है? आपकी एक छोटी सी गलती से अगले साल के आम की पूरी उपज को बर्बाद कर सकती है.

आम की फसल के लिए खतरनाक है फल मक्खी कीट.आम की फसल के लिए खतरनाक है फल मक्खी कीट.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 17, 2025,
  • Updated Oct 17, 2025, 4:53 PM IST

अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक का समय आम के पेड़ों के लिए 'आराम का समय' यानी 'प्राकृतिक विश्राम काल' होता है. इस दौरान आपकी एक छोटी सी गलती, जैसे सिंचाई या खाद डालना,अगले साल की पूरी फसल को बर्बाद कर सकती है. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के पादप रोग विभाग के हेड डॉ एस. के. सिंह ने बताया कि जैसे हम दिन भर काम करने के बाद रात में सोकर ऊर्जा वापस पाते हैं, वैसे ही आम के पेड़ भी फल देने के बाद थक जाते हैं और उन्हें आराम की ज़रूरत होती है. अक्टूबर से दिसंबर तक उत्तर भारत में ठंड बढ़ने लगती है, और पेड़ अपनी सारी गतिविधियां जैसे नई पत्तियां या टहनियां निकालना लगभग बंद कर देते हैं. इस दौरान वे अंदर ही अंदर अगले साल के बौर और फलों के लिए ताकत को इकट्ठा करते हैं ताकि जनवरी-फरवरी में सही समय आने पर जोरदार बौर आ सकें. अगर इस 'नींद' में खलल डालते हैं, तो पेड़ की सारी तैयारी गड़बड़ा जाती है.

इस समय खाद क्यों न डालें? 

अक्सर किसान सोचते हैं कि ठंड शुरू होने से पहले खाद डाल दें ताकि पेड़ को ताकत मिले. लेकिन यह सोच वैज्ञानिक रूप से गलत है. अक्टूबर से दिसंबर तक जब तापमान गिरता है, इस समय अक्सर तापमान 8 से 12 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, तो सिर्फ पेड़ का ऊपरी हिस्सा ही नहीं, बल्कि मिट्टी के नीचे उसकी जड़ें भी निष्क्रिय हो जाती हैं. ठंडी मिट्टी में जड़ें पोषक तत्वों को खींचने का काम बंद कर देती हैं. ऐसी स्थिति में अगर आप खाद डालते हैं, तो वह बेकार चली जाती है. पेड़ उसे ले' ही नहीं पाता. यह वैसा ही है जैसे किसी सोते हुए आदमी को खाना खिलाने की कोशिश करना. यह खाद मिट्टी में पड़ी रहती है और पैसे की बर्बादी होती है.

सिंचाई किया तो जड़ सड़न का खतरा

कुछ किसान सोचते हैं कि मिट्टी सूखी लग रही है, थोड़ी सिंचाई कर दें. यह इस मौसम की सबसे बड़ी गलतियों में से एक है. पहला कारण यह है कि पेड़ तो आराम कर रहा है और उसे पानी की जरूरत है ही नहीं. दूसरा, ठंडे मौसम में मिट्टी पहले से ही नम होती है. अगर ऊपर से और पानी दे देते हैं, तो जड़ों के आसपास चौबीसों घंटे नमी और गीलापन बना रहेगा. चूंकि जड़ें निष्क्रिय हैं और पानी नहीं खींच रहीं, यह अतिरिक्त पानी जड़ों को सड़ाना शुरू कर देता है. इसे 'जड़ सड़न' (Root Rot) रोग कहते हैं, जो फफूंद के कारण होता है. एक बार जड़ें सड़ने लगीं, तो पेड़ धीरे-धीरे कमजोर होकर सूख भी सकता है. इसलिए, इन तीन महीनों में सिंचाई से पूरी तरह बचें.

एक साथ खाद और पानी बिगाड़ता है खेल?

अगर सलाह के विपरीत जाकर खासकर नाइट्रोजन वाली खाद जैसे यूरिया भी दी और सिंचाई भी कर दी तो पेड़ की निष्कियता टूट जाती है. इसके कारण, पेड़ अपनी सारी ऊर्जा, जो उसने 'फूल' (बौर) बनाने के लिए बचाकर रखी थी, उसे 'नई पत्तियों' (कोमल टहनियाँ) निकालने में खर्च कर देता है. दिसंबर-जनवरी में जहां पेड़ को फूलों की कलियों से लद जाना चाहिए था, वहीं वह नई हरी पत्तियों से भर जाता है. इसे वैज्ञानिक भाषा में "फ्लावर बड इनहिबिशन" कहते हैं, यानी फूलों की कलियां बनने की प्रक्रिया रुक जाना. नतीजा यह होता है कि अगले मौसम में फूल या तो बहुत कम आते हैं या आते ही नहीं, और आपकी पूरी फसल मारी जाती है.

बाग में काम करने का सही समय 

डॉ एस. के. सिंह  ने कहा कि आम के बाग में कृषि कार्यों का सही समय निर्धारित है. सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत तक कटाई-छंटाई और सफाई पूरी कर लें. इसके बाद, अक्टूबर से दिसंबर तक पेड़ों को 'पूर्ण विश्राम' दें और कोई हस्तक्षेप न करें, सिर्फ निगरानी रखें. जनवरी के मध्य से अंत तक, पुष्पन (बौर आने) से ठीक पहले, खाद देने का सही समय है. फरवरी की शुरुआत में, जरूरत पड़ने पर खाद के बाद हल्की सिंचाई करें. अंत में, बौर खिलने से ठीक पहले, कीटों और रोगों से बचाव के लिए जरूरी छिड़काव करना चाहिए.

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