ओडिशा में किसानों के लिए कृषि सलाह जारी किया गया है ताकि वे अच्छे तरीक से खेती कर सकें और उन्हें मुनाफा हो सके. इन सलाहों को मानते हुए किसान अच्छा उत्पाद हासिल कर सकते हैं. रबी धान की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि किसान धान की नर्सरी तैयार करना जारी रखें. साथ ही नर्सरी को ठंड से बचाने के लिए गीली क्यारियों में बीज की बुवाई करें और उसके ऊपर से सड़ी हुई गोबर की खाद की एक पतली परत चढ़ाएं. धान के बेड अधिक गर्म रहें इसके लिए 13 से 15 किलो डीएपी और 10-12 किलो एमओपी के साथ 200 किलो गोबर की खाद डालें. साथ ही बेहतर उपज हासिल करने के लिए इस मिश्रण में 200 ग्राम जिंक का भी प्रयोग करें.
इसके अलावा ठंड और कोहरे के फसलों में एफिड, हॉपर और थ्रिप्स का प्रकोप हो सकता है. साथ ही सूरजमुखी के पौघे में सफेद मक्खी का प्रकोप हो सकता है. इससे बचावे के लिए एसिटामिप्रिड को 60 ग्राम प्रति एकड़ या थियामेथोक्साम 80 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. कोहरे, कम तापमान और नमी के तनाव से होने वाले नुकसान से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी बनाए रखें. मूंगफली की फसल में एफिड्स और थ्रिप्स को नियंत्रित करने के लिए, संक्रमण के प्राथमिक चरण के दौरान नीम आधारित कीटनाशक 300 पीपीएम को 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. पर यदि एफिड या थ्रिप्स का संक्रमण गंभीर है तो इस स्थिति में थियामेथोक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यू.जी का 40 ग्राम प्रति एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल का 50 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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ओडिशा के पश्चिम मध्य टेबल लैंड जोन में टमाटर और आलू की फसल में पिछेती बीमारी का संक्रमण हो सकता है. इस बीमारी के संक्रमण से फसलों को बचाने के लिए मेटालैक्सिल और मैंकोजेब का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. मौसम विभाग की तरफ से जारी किए गए सलाह के मुताबिक बोलांगीर जिले में सर्दियों की सब्जियों जैसे बैंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी में पत्ती खाने वाले कैटरपिलर और फल छेदक कीट को नियंत्रित करने के लिए फसल पर इमामेक्टिन बेंजोएट 0.5 ग्राम या स्पिनोसैड 0.4 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. मूंग में सफेद मक्खी के संक्रमण को शुरुआती चरण में नियंत्रित करने के लिए, नीम आधारित छिड़काव करें. बैंगन में अंकुर और फल छेदक कीट के संक्रमण की प्राथमिक अवस्था के दौरान, नीम आधारित कीटनाशक 1500 का छिड़काव करें.
मध्य टेबल भूमि क्षेत्र में डीएसआर तकनीक से बोए गए धान के खेत में प्रति एकड़ 35 किलोग्राम डीएपी, 27 किलोग्राम पोटाश और 8 किलोग्राम यूरिया डालें. जिन खेतों में मूंगफली की फसल वानस्पतिक अवस्था में है उनमें लीफ माइन संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए प्रोफेनोफॉस 50 प्रतिशत ईसी का छिड़काव 400 मिली ग्राम प्रति 200 लीटर में मिलाकर करें. युवा मीली बग को चढ़ने से रोकने के लिए आम के तने के चारों ओर प्लास्टिक की चादरें लपेट दें और ग्रीस लगाकर सील कर दें. मक्के की फसल पर टेम्बोट्रियोन 34.4 प्रतिशत एससी का 115 मिली प्रकि एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में 20-25 दिन पर छिड़काव करें.
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उत्तर पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र में कोहरे, कम तापमान और नमी के तनाव से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सुबह के समय खड़ी फसलों और सब्जियों में हल्की सिंचाई करें. उथली निचली भूमि वाले क्षेत्रों में जोड़ी फसल के रूप में उड़द की खेती की निराई-गुड़ाई, निराई-गुड़ाई करें. गेंदे में मीली बग को नियंत्रित करने के लिए मछली के तेल या राल साबुन का छिड़काव करें. उत्तर पश्चिमी पठारी क्षेत्र में, गेहूं की फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए सोडियम का छिड़काव करें.