गेहूं के पौधे का इस्तेमाल केवल भूसे के लिए नहीं होता बल्कि इसका एक बहुत बड़ा और अहम फायदा है. गेहूं की कटाई के बाद बचे डंठल से भूसा बनता है जिसे चारे के रूप में उपयोग किया जाता है. अगर किसान इससे भूसा न बनाए तो उसका कोई उपयोग नहीं है. वह भी धान की पराली की तरह बेकार साबित होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि गेहूं का हरा पौधा कितना कारगर और कमाई का बड़ा साधन है? आइए जानते हैं.
गेहूं की छोटी हरी पौध कोमल और पोषण से भरपूर होती है जिन्हें बीज अंकुरित होने के बाद पत्तियों को निकाला जाता है. इस पत्ते में उच्च मात्रा में विटामिन और मिनरल, शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इन पत्तों का स्वाद, रंग और सुगंध व्यंजन में खास आकर्षण पैदा करते हैं. यही वजह है कि गेहूं घास को अब घर के गमले में लगाने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है. इस गेहूं घास से जूस, पाउडर, टैब्लेट या कैप्सूल, फ्रोजन रस, अंकुर और सलाद, क्रीम, स्प्रे और लोशन आदि बनाए जा रहे हैं.
इसे देखते हुए गेहूं घास का उत्पादन किसानों के लिए एक कम लागत और अधिक लाभ वाला विकल्प बन कर उभरा है. यह न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोकप्रिय है, बल्कि इसके उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, मिट्टी या हाइड्रोपोनिक विधि में से किसी एक को अपनाकर गेहूं घास का उत्पादन किया जा सकता है. बेहतर लाभ और कमाई के लिए ब्रांडिंग, प्रचार और प्रसार का सहारा लिया जा सकता है.
किसान अपने उगाए गेहूं घास के प्रचार प्रसार के लिए योग केंद्र, हेल्थ स्टोर और ऑनलाइन चैनल से जुड़ सकते हैं. इससे उन्हें एकमुश्त अधिक ग्राहकों तक पहुंच मिलेगी. गेहूं घास से बने प्रोडक्ट की ब्रांडिंग और मजबूती के लिए किसान को एफएसएसएआई से रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए. इससे प्रोडक्ट का भरोसा बढ़ता है और कमाई में वृद्धि होती है.
गेहूं घास के व्यवसाय को कम निवेश के साथ कम जगह, सस्ते बीज और सामान्य उपकरणों से आसानी से शुरू कर सकते हैं. गेहूं लगाने के 7-10 दिनों में फसल तैयार हो जाती है. इस घास को जूस कॉर्नर, योग केंद्र, हेल्थ ड्रिंक स्टॉल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचा जा सकता है. इससे कम दिनों में ही कमाई और मुनाफा दोनों बढ़ जाएगा.