Hydroponics: घर की छत पर करें हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती, कम लागत में कमाएं ज्यादा मुनाफा

Hydroponics: घर की छत पर करें हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती, कम लागत में कमाएं ज्यादा मुनाफा

हाइड्रोपोनिक खेती के लिए न तो जलवायु न ही मौसम और मिट्टी का तो बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है. इस खेती के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं होती है, बल्कि 10×10 के एक छोटी सी जगह में भी खेती की शुरुआत करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. हाइड्रोपोनिक के माध्यम से खासतौर से पत्तेदार सब्जियों की खेती सबसे ज्यादा हो रही है

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धर्मेंद्र सिंह
  • lucknow ,
  • Feb 18, 2023,
  • Updated Feb 18, 2023, 3:23 PM IST

देश में कृषि क्षेत्र में परंपरागत तौर तरीकों में अब तेजी से बदलाव हो रहे हैं. सरकार भी कम लागत में अधिक उत्पादन और अधिक मुनाफे की तरफ किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. ऐसे में घर की छत पर ही हाइड्रोपोनिक खेती के माध्यम से अच्छी कमाई हो सकती है. हाइड्रोपोनिक खेती के लिए न तो जलवायु न ही मौसम और मिट्टी का तो बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है. इस खेती के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं होती है, बल्कि 10×10 के एक छोटी सी जगह में भी खेती की शुरुआत करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. हाइड्रोपोनिक के माध्यम से खासतौर से पत्तेदार सब्जियों की खेती सबसे ज्यादा हो रही है जिसका सबसे ज्यादा प्रयोग सलाद के रूप में होता है. इस खेती में न तो रसायन का इस्तेमाल होता है, बल्कि इससे उगने वाली फसलों की गुणवत्ता भी खेत में उगने वाली फसल से कहीं ज्यादा बेहतर होती है.

कैसे होती है हाइड्रोपोनिक खेती

देश में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है जिसकी वजह से अब खेती में नई तकनीकों ने लेना शुरू कर दिया है. इस दिशा में हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करना किसानों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. हाइड्रोपोनिक खेती में एक पालीहाउस जैसा स्ट्रक्चर होना चाहिए, ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके. हालांकि, खुले में भी खेती कर सकते हैं. इस तकनीक में पाइपों से बने एक स्ट्रक्चर की जरूरत होती है, जिसमें पानी बहता रहता है. इन्हीं पाइपों में पौधे लगे होते हैं. हाइड्रोपोनिक खेती के लिए सामान्यतः 15 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए, जबकि आद्रता 80 से 85 फीसदी तक अच्छी मानी जाती है. 

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घर की छत पर हाइड्रोपोनिक के माध्यम से करें कमाई

लखनऊ में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान बैंगलोर की एक कंपनी के द्वारा हाइड्रोपोनिक खेती का प्रचार प्रसार किया गया. कंपनी के एग्रोनॉमिस्ट पीयूष पांडे ने किसान तक से बात करते हुए बताया हाइड्रोपोनिक खेती में पीवीसी पाइप के माध्यम से न्यूट्रिएंट्स डाला जाता है जो पौधे सीधे अवशोषित करते हैं. पाइपों में छोटे-छोटे छेद में पौधे लगाए जाते हैं. इस तकनीक के माध्यम से खासतौर से पत्तेदार विदेशी सब्जियों को उगाया जाता है. पाइप में गोल छेद में कोकोपीट जालीदार गिलास होती है जिसमें पौधों के बीज लगाए जाते हैं. इस तकनीक के माध्यम से 40 से 45 दिन में फसल तैयार हो जाती है. 10 बाई 10 के क्षेत्रफल में भी विदेशी पत्तेदार सब्जियों को लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में हाइड्रोपोनिक तकनीक को लगाने में करीब ₹40000 तक की लागत आती है, जबकि इसमें उगने वाली फसल से हर महीने 10000 तक मुनाफा कमाया जा सकता है.

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हाइड्रोपोनिक खेती के फायदे

हाइड्रोपोनिक खेती के लिए उपजाऊ जमीन की जरूरत नहीं होती है. इस तकनीक के माध्यम से कम जगह में अधिक सब्जियां उगाई जा सकती हैं. हाइड्रोपोनिक्स में पोषक तत्वों से भरपूर पानी को बार-बार पौधों की जड़ों के माध्यम से परिचालित किया जाता है जिसके चलते पोषक तत्वों की बर्बादी नहीं होती है. इस तकनीक के माध्यम से उगाए गए सब्जियों में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है. वही इस खेती में रोग और कीट का खतरा भी नहीं होता है और ना ही जानवरों का खतरा होता है.

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