देश की 960 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन बंजर हो चुकी है. मिट्टी में मौजूद जैविक तत्वों में तेजी से गिरावट देखी जा रही है.मिट्टी की बिगड़ती सेहत को सुधारने के लिए गांव स्तर पर सॉइल टेस्टिंग लैब बनाई जा रही हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2025 तक 17 राज्यों में 665 ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं. इसके अलावा स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत देशभर में 1020 स्कूलों के छात्र सॉइल टेस्टिंग में मदद कर रहे हैं.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान खराब होते पर्यावरण और मिट्टी की बिगड़ती सेहत पर चिंता जता चुके हैं. वह किसानों को मिट्टी की गिरती उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए ऑर्गनिक खेती करने को कहते हैं. वैज्ञानिकों ने मिट्टी के स्वास्थ्य को बरकारर रखने के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं करने और क्षरण रोकने का आह्वान किया है. भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR–IISWC) मुख्यालय और देशभर में अपने 8 अनुसंधान केंद्रों के साथ हाल ही में एक कोर रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और मृदा स्वास्थ्य का आकलन करना है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (VLSTL) के लिए दिशानिर्देश जून 2023 में जारी किए गए थे. इसके बाद से तेजी से गावों में सॉइल टेस्टिंग लैब स्थापित की जा रही हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2025 तक 17 राज्यों में 665 ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं. गांव स्तर पर सॉइल टेस्टिंग लैब कोई भी 18 से 27 साल का व्यक्ति स्थापित कर सकता है. जबकि, स्वयं सहायता समूह, एफपीओ, स्कूल, कृषि विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता दी जाती है.
खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया गया है. सॉइल टेस्टिंग के लिए छठी क्लास से 12वीं तक के 1,25,972 स्कूली छात्रों की मदद ली जा रही है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DSE&L), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य सरकारों के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों के 10 केंद्रीय विद्यालय और 10 नवोदय विद्यालयों में स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम पर पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है. इन स्कूलों में 20 मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं. 2024 तक 1020 स्कूलों में मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम चल रहे हैं और 1000 सॉइल टेस्टिंग लैब बनाई जा चुकी हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR–IISWC) देहरादून केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने बताया कि भारत विश्व के कुल भूमि क्षेत्र का 2.4 फीसदी है. यह 17.7 फीसदी वैश्विक जनसंख्या और 15 फीसदी पशुधन का पोषण करता है. हालांकि, देश की मिट्टी तेज कृषि, शहरीकरण, वन कटाई और जलवायु परिवर्तन के चलते अत्यधिक दबाव में है. इसरो (ISRO) की हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि भारत की 960 लाख हेक्टेयर भूमि खराब हो चुकी है. इतना ही नहीं हर साल 5.3 अरब टन टॉपसॉइल पानी और हवा के तेज बहाव के चलते नष्ट हो जाती है. उन्होंने कहा कि मिट्टी के स्वास्थ्य को बरकारर रखने के लिए केमिकल इस्तेमाल बंद करने और कटान रोकने के लिए पौधरोपण करना होगा.