जम्मू-कश्मीर के सुंदरबनी सीमावर्ती ब्लॉक के सुंदर गांवों में खेती की तकनीक में एक परिवर्तनकारी बदलाव चल रहा है. यहां पॉलीहाउस की मदद से सब्जी की प्योर ऑर्गेनिक फार्मिंग की जा रही है, जिससे स्थानीय कृषि को काफी बढ़ावा मिला है. इससे किसानों के लिए आत्मनिर्भरता का रास्ता भी खुला है और रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं. सुंदरबनी ब्लॉक में कई प्रगतिशील किसान हैं जो एक प्रसिद्ध किसान चमन लाल को पसंद करते हैं, जिन्हें राजौरी जिले के सुंदरबनी ब्लॉक में कृषि क्षेत्र में पिछले पचास वर्षों का अनुभव है.
पहले पारंपरिक खेती के तरीकों पर निर्भर रहने वाले सुंदरबनी के किसान अब टिकाऊ और नए तकनीकों को अपना रहे हैं, जो न केवल बेहतर उपज का जरिया है, बल्कि खेती और पर्यावरण के अनुकूल भी है. यहां पॉलीहाउस की मदद से खेती करने पर किसानों को सालों भर महंगी मिलने वाली सब्जियों से छुटकारा मिला है. साथ ही पॉलीहाउस में खेती करने से फसल खराब मौसम और कीटों से होने वाले नुकसान से बच रही है. साथ ही रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो गई है.
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इस तकनीक का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है. जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ, किसान अपने फसलों को स्थानीय और क्षेत्रीय दोनों बाजारों में आसानी से बेच पा रहे हैं. जैविक खेती के इस बदलाव ने रोजगार के रास्ते भी खोले हैं. कई ग्रामीणों को बढ़ते सब्जी खेती वाले व्यवसाय में काम मिल रहा है, चाहे वे खेत मजदूर हों, पैकेजर हों या फसल बेचने वाले किसान.
इसके अलावा, इस पहल ने यहां के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत होने का रास्ता दिखाया है, क्योंकि अब किसानों के पास अपनी आय को बढ़ाने और अपने जीवन स्तर में सुधार करने का बेहतरीन मौका है. पारंपरिक ज्ञान के साथ आधुनिक कृषि तकनीकों के मेल ने एक ऐसा तालमेल बनाया है जो सुंदरबनी में किसानों के लिए एक उज्जवल और टिकाऊ भविष्य का रास्ता है.
जैसे-जैसे यह तकनीक तेजी से फैलती जा रही है, वैसे-वैसे सुंदरबनी सीमावर्ती ब्लॉक ग्रामीण विकास के लिए एक मॉडल के रूप में खड़ा हो रहा है, जहां कृषि में इनोवेशन स्थानीय किसानों के लिए सफलता का रास्ता बनता जा रहा है. (ANI)