केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि यदि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना है, तो कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, प्रिसिजन फार्मिंग और कृषि-ड्रोन जैसी नई तकनीकों को बड़े पैमाने पर अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर की शुरुआत से पहले किसानों के पास बारिश के 4-5 दिनों के भीतर खेतों को जोतने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. बैल जोतते थे, इसलिए गति धीमी होने के कारण आधे खेत अनुपयोगी रह जाते थे. ट्रैक्टर ने किसानों को कुछ दिनों में खेतों के बड़े भू-भाग को जोतने में सक्षम बनाया और इससे हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिली.
चौधरी शुक्रवार को धानुका ग्रुप की ओर से दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को नई एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी के साथ किसानों को सशक्त बनाकर कृषि उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि करने का रोडमैप तैयार करना चाहिए. देश के वर्षा-सिंचित जिलों में 40 फीसदी कृषि योग्य भूमि में तकनीक का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाने का भी आव्हान किया. यह भी कहा कि देश में अधिकांश कृषि भूमि की क्षमता समाप्त हो गई है, केवल बारिश पर निर्भर क्षेत्र बचा है, जिसकी क्षमता का दोहन करने की आवश्यकता है.
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इस मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. दीपक पेंटल ने जीएम फसलों की वकालत की. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने बहुत पहले ही जीएम फसलों को पेश करके कृषि उत्पादन में 35 फीसदी की वृद्धि की है, जबकि यूरोप सिर्फ 6-7 तक ही सीमित रहा है. वैसे भी यूरोप में जनसंख्या नहीं बढ़ रही है, इसलिए उनके पास विकल्प है, लेकिन क्या हमारे पास विकल्प है? हमारी आबादी तो बढ़ रही है. इसलिए, हमें यह तय करने की जरूरत है कि हम किस तरफ रहना चाहते हैं. डॉ. पेंटल ने कृषि-रसायनों के उपयोग का समर्थन करते हुए कहा कि यदि हम चाहते हैं कि फसलों को कम नुकसान हो, तो उच्च गुणवत्ता वाले कृषि-रसायन आवश्यक हैं.
इस मौके पर उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद रहे. अपने जमीनी अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए टेक्नोलॉजी के विवेकपूर्ण उपयोग की वकालत की.
उन्होंने कहा कि आज सभी छात्र-छात्राएं वैज्ञानिक, इंजीनियर और डॉक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन कोई किसान नहीं बनना चाहता. ऐसा इसलिए है क्योंकि देश ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता तो हासिल कर ली है, लेकिन किसान अभी भी गरीब हैं. इस मौके पर धानुका समूह के चेयरमैन आरजी अग्रवाल ने कहा कि नई टेक्नोलॉजी और ड्रोन दिशानिर्देशों की मंजूरी जैसी तेजी से भारत दुनिया के लिए अन्न उत्पादक बन पाएगा.
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