गन्ने और ज्वार की खोई दोनों को आज भी ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है. वहीं राष्ट्रीय सरकार संस्थान कानपुर के द्वारा ज्वार के तने से जहां शहद का विकल्प बना लिया गया है. वहीं इसकी खोई से भी दो महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ बनाए गए हैं. आप भी सोच रहे होंगे की भला खोई किस काम की है. ज्वार की खोई या बगास से राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की युवा वैज्ञानिकों के द्वारा डाइटरी फाइबर का निर्माण करने में सफलता मिली है. ज्वार की खोई से न सिर्फ डाइटरी फाइबर का निर्माण हो रहा है बल्कि वेनेलिन को भी प्राप्त किया गया है.
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन का दावा है कि संस्थान के विशेषज्ञों के द्वारा ज्वार की अलग-अलग प्रजातियां से न सिर्फ अल्कोहल प्राप्त करने के लिए अनुसंधान शुरू किया गया है बल्कि इसके तने के रस से शुगर का विकल्प के रूप में शहद जैसा तरल पदार्थ भी बनाया जा रहा है. इस सिरप में शहद के समान ही गुण पाए जाते हैं. वहीं इसमें शहर के बराबर कैलोरी होती है. इसके अलावा तीसरे प्रोडक्ट के रूप में ज्वार की खोई से डाइटरी फाइबर का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए उत्तर प्रदेश में बीते 3 वर्ष से ज्वार की 11 प्रजातियों पर शोध किया गया जिनमें से पांच प्रजातियों के तने में पाए गए रस से शहद के समान सिरप और बगास से डाइटरी फाइबर और वेलेनिन को प्राप्त किया जा सका है. संस्थान के शोध कार्य को जल्द पूरा होते ही इसे बाजार में लाने का प्रयास किया जा रहा है.
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किसी भी खाद्य पदार्थ में फाइबर का होना हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. फल, सब्जियां, नट्स और दालों में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि आज जिन खाद्य पदार्थों में फाइबर नहीं होता है उसे खाने से पेट में लंबे समय तक भरा रहता है. पेट फाइबर युक्त आहार लेने से कब्ज की समस्या नहीं होती है. वहीं इससे पेट भी स्वस्थ रहता है. खाद्य पदार्थों में फाइबर के होने से मोटापा, कब्ज, बवासीर और हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है. फाइबर डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत ही मददगार होता है. इससे ब्लड शुगर का अस्तर संतुलंत रहता है.
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के युवा वैज्ञानिक हिमांशु मिश्रा ने बताया ज्वार की खोई से डाइटरी फाइबर को बनाने में उन्हें सफलता मिली है. हमने इसको पहले गन्ने की खोई से तैयार किया था. प्रति 100 ग्राम खोई से 18 ग्राम तक डाइटरी फाइबर हमें प्राप्त होता है. अब किसानों को इससे अतिरिक्त आय मिल सकेगी क्योंकि अब तक मीठी चरी का इस्तेमाल किसानों के द्वारा पशुओं के चारे के रूप में किया जाता था लेकिन अब पत्तियां जहां चारे के रूप में इस्तेमाल होगी. वहीं इसका तना से शुगर सिरप बनाया जा सकेगा. वहीं खोई से डाइटरी फाइबर भी मिलेगा. यह तीन प्रोडक्ट महत्वपूर्ण होंगे जो किसान की आय को दुगना करने में मदद करेंगे.