Dairy: मिल्किंग मशीन के प्रयोग से बढ़ेगा दूध, थनैला रोग की संभावनाएं होंगी कम !

Dairy: मिल्किंग मशीन के प्रयोग से बढ़ेगा दूध, थनैला रोग की संभावनाएं होंगी कम !

मिल्किंग मशीन के उपयोग से समय की बचत के साथ दूध उत्पादन में वृद्धि भी आसानी से हो जाती है. वहीं डॉक्टर के अनुसार थनैला रोग होने की संभावना भी कम हो जाती है. 

मिल्किंग मशीन की मदद से दूध दुहते पशुपालक  मिल्किंग मशीन की मदद से दूध दुहते पशुपालक  
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • PATNA,
  • Feb 20, 2023,
  • Updated Feb 20, 2023, 6:57 PM IST

Milk Machine: देश के ग्रामीण इलाकों सहित शहरी क्षेत्र में लोग बड़े स्तर पर पशुपालन से जुड़े हुए हैं. ग्रामीण इलाकों में गाय या भैंस का दुध दुहने में अधिकांश लोग हाथों का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह से दूध निकालने की विधि सदियों से अपनाई जा रही है. लेकिन, आज के आधुनिक युग में डेयरी क्षेत्र (Dairy Farming) में काफी बदलाव हो रहे हैं और लोग अब मशीनों की मदद से डेयरी क्षेत्र के व्यवसाय में कम मेहनत में बेहतर कमाई कर रहें हैं. ऐसा ही एक प्रयोग म‍ि‍ल्क‍िंंग मशीन भी है. जहां पशुपालक पारंपरिक तरीके से गाय व भैंस का दूध निकालने की जगह मिल्किंग मशीन का उपयोग कर रहे हैं. एक्सपर्ट का दावा है क‍ि म‍िल्क‍िंंग मशीन के प्रयोग से एक तरफ जहां दूध का उत्पादन अध‍िक होता है. तो वहीं ये मशीन मवेश‍ियों में होने वाले थनैला रोग की संभावनाओं को भी कम करती है.  

मिल्कि‍ंग मशीन बनाने वाली एक कंपनी के मैनेजर पुरषोत्तम सिंह कहते हैं कि अगर पशुपालक मिल्किंग मशीन की मदद से दूध निकालते हैं तो इससे दूध का उत्पादन भी 15 फीसदी तक बढ़ जाता है. मिल्किंग मशीन यानी दूध दुहने की मशीन ने डेयरी फार्मिंग और पशुपालन की दुनिया में एक नई क्रांति लाई है. ऐसा माना जाता है कि मशीन से दूध निकालने का सबसे पहला प्रयोग डेनमार्क और नीदरलैंड में हुआ था. 

मिल्किंग मशीन से दूध में वृद्धि एवं समय की बचत

पुरषोत्तम सिंह कहते हैं कि हाथ से दूध दुहने के दौरान दूध की कुछ मात्रा शेष बच जाती है. इसके साथ ही एक से दो लीटर दूध दुहन में करीब पांच मिनट तक का समय हाथ से लगा जाता है. वहीं मिल्किंग मशीन द्वारा एक मिनट में करीब 2 लीटर तक दूध आसानी से दुहा जा सकता है. इसके साथ ही दूध की मात्रा में 10 से 15 फीसदी बढ़ोतरी तक हो जाती है. आगे वह कहते हैं कि मशीन के उपयोग करने से समय की बचत के साथ पैसे की बचत है.

प्रायः यह देखने को मिलता है कि गांव या शहर में अधिकांश पशुपालक को गाय दुहने तक नहीं आता है और इसके लिए वह दूध दुहने वाले को महीने का 300 रुपए तक देते है. मशीन के उपयोग से न केवल ऊर्जा की बचत होती है. बल्कि स्वच्छ दुग्ध दोहन द्वारा उच्च गुणवत्ता का दूध मिलता है. इन मशीनों का रखरखाव भी बेहद सरल है, साल भर के मेंटेनेंस का खर्च मात्र 300 रुपए तक आता है.

ये भी पढ़ें- देश से 14 अरब डॉलर के सीफूड का होगा एक्सपोर्ट! सरकार ने तय किया लक्ष्य

बिहार वेटनरी कॉलेज पटना के जूनियर पशु वैज्ञानिक दुष्यंत कुमार यादव कहते हैं कि अगर पशुपालक मिल्किंग मशीन की मदद से गाय या भैंस से दूध निकालते हैं. तो थनैला रोग होने की संभावनाएं कम हो जाती है. क्योंकि प्रायः देखने को मिलता है कि लोग गंदे हाथों से या बिना हाथ साफ किए ही पशु को दुहने लगते हैं और इससे संक्रमण रोग व रोगाणुओं का दूग्ध ग्रन्थि में प्रवेश की सम्भावनाएं बढ़ जाती है और उस दौरान थनैला रोग होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. इसलिए मिल्किंग मशीन मशीन को इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि इससे थन को नुकसान न पहुंचे व रोगाणुओं का दुग्ध ग्रंथि में प्रवेश की सम्भावना कम से कम हो जाए. 

अगर पशुपालक मिल्किंग मशीन का उपयोग कर रहे हैं. तो उन पशुओं में इसका उपयोग बिल्कुल न करें,जिन्हें थनैला रोग हुआ है. उसका सफल इलाज करवाने के बाद ही मशीन का उपयोग करें. साथ ही समय-समय पर थनैला रोग का जांच करवाते रहें. 

ये भी पढ़ें- काली हल्दी बन रही है क‍िसानों के ल‍िए फायदे का सौदा, जानें कैसे करें इसकी खेती

मशीन पर सरकार देती है सब्सिडी

मिल्किंग मशीन पर देश के राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है.वहीं पुरषोत्तम सिंह ने बताया कि दो साल पहले बिहार सरकार मि‍ल्क‍िंंग मशीन की खरीद पर सब्सिडी दे रही थी. लेकिन, हाल के समय में मिल्किंग मशीन पर अनुदान नहीं दिया जा रहा है. सिंगल ट्रॉली मिल्किंग मशीन की कीमत 36000 से लेकर 42000 तक के आसपास है. वहीं पशुपालकों को मशीन से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए जिले के पशुपालन अधिकारी  से संपर्क कर सकते हैं. इसके साथ ही पशुपालकों का कहना है कि सरकार द्वारा कृषि से जुड़ी सभी यंत्रों पर सब्सिडी दी जा रही है. तो मिल्किंग मशीन पर भी सब्सिडी देने की जरूरत है.

MORE NEWS

Read more!