वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) मंगलवार को एक साथ लोकसभा चुनाव के लिए 37 'स्टार कैंपनर्स की लिस्ट में 12 ' कॉमन वोटर्स' को भी जगह दी है. ये कैंपेनर्स राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का प्रचार करते हुए नजर आएंगे. पार्टी के सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इस बात की वकालत की थी और पार्टी अब उसी विचारधारा को आगे बढ़ा रही है.
पिछले महीने चार जिलों में आयोजित अपने चुनावी रैली में जगन ने कहा था कि आगामी चुनावों में मतदाता उनकी पार्टी के स्टार प्रचारक होंगे. इसे जगन ने 'सिद्धम अभियान' नाम दिया था. उन्होंने कहा था, 'मेरे सच्चे स्टार प्रचारक आंध्र प्रदेश के लोग हैं और मैं किसी और को नहीं चाहता.' पार्टी ने कहा है कि ये 12 स्टार प्रचारक आंध्र प्रदेश के करीब पांच करोड़ लोगों के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. पार्टी के मुताबिक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले ये व्यक्ति जमीन पर पार्टी के लिए प्रचार करेंगे और जगन के संदेश को अंतिम मील तक प्रचारित करने में मदद करेंगे.
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मतदाता बने वाईएसआरसीपी के स्टार प्रचारकों में से अधिकांश 12 अपने-अपने क्षेत्रों में ग्राम-स्तर या वार्ड-आधारित पार्टी के वॉलेंटियर्स हैं. उनमें एक सामान्य बात यह है कि उन्होंने सत्तारूढ़ दल के लिए प्रचार करने में रुचि व्यक्त की थी. 12 स्टार कैंपेनर्स में से आठ पार्टी के वॉलेंटियर्स हैं. इनमें चार गृहिणी, दो किसान, एक ऑटो चालक और एक दर्जी शामिल हैं. जबकि बाकी चार पूर्व सरकारी वॉलेंटियर हैं. ये उस लिस्ट का हिस्सा हैं जिसमें जगन, राज्य के शिक्षा मंत्री बोत्सा सत्यनारायण और राज्यसभा सांसद वी विजयसाई रेड्डी जैसे पार्टी के बड़े नेता शामिल हैं.
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इस कदम को 'ऐतिहासिक' करार देते हुए, वाईएसआरसीपी के विशाखापत्तनम उम्मीदवार और पूर्व सांसद बोत्सा झांसी लक्ष्मी ने कहा, 'लोग लोकतंत्र की नींव हैं. इसलिए स्वाभाविक है कि आम नागरिकों को स्टार प्रचारक बनाया जाए. जैसा कि जगन ने कहा, हमें लोगों के अलावा किसी और की जरूरत नहीं है. हालांकि, इनमें से किसी भी स्टार प्रचारक को अब तक कोई विशेष कार्य नहीं सौंपा गया है. वाईएसआरसीपी ने उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार करते समय स्थानीय और राज्य पार्टी नेताओं के साथ जाने के लिए कहा है.
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वाईएसआरसीपी को पिछले महीने अपने वॉलेंटियर सिस्टम की वजह से बड़ा झटका लगा था. उस समय चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को गांव और वार्ड स्तर के स्वयंसेवकों की सभी राजनीतिक गतिविधियों को रोकने का निर्देश दिया था. इस कदम की वजह से पेंशन वितरण में देरी हुई और राजनीतिक घमासान छिड़ गया. विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने आरोप लगाया कि देरी फंड की कमी के चलते हुई थी.