IIVR वाराणसी ने मटर की काशी पूर्वी किस्म को बढ़ावा देने के लिए FPO से किया समझौता, जानें इसके फायदे

IIVR वाराणसी ने मटर की काशी पूर्वी किस्म को बढ़ावा देने के लिए FPO से किया समझौता, जानें इसके फायदे

Farmers News: डॉ राजेश कुमार ने बताया कि काशी पूर्वी यह किस्म अगेती प्रकृति की है, जिसमें 50% फूल आने में 35-40 दिन तथा पहली तुड़ाई 65-75 दिनों में हो जाती है. इसके पौधों में औसतन 10-13 फलियां होती हैं जिनकी लंबाई 8 से 8.5 सेमी तक होती है.

बंपर पैदावार वाली मटर की अगेती किस्म काशी पूर्वी (Photo-Social Media)बंपर पैदावार वाली मटर की अगेती किस्म काशी पूर्वी (Photo-Social Media)
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • May 19, 2025,
  • Updated May 19, 2025, 2:36 PM IST

देश में दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. इस दिशा में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान का प्रयास भी सराहनीय है. वाराणसी स्थित आईआईवीआर ने मटर की एक नई प्रजाति काशी पूर्वी (Kashi Purvi) को बढ़ावा देने के लिए नवचेतना फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के साथ एक औपचारिक लाइसेंसिंग समझौता किया है. संस्थान की तकनीकी प्रबंधन ईकाई (TTMU) के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में यह समझौता निदेशक डॉ. राजेश कुमार की मौजूदगी में संपन्न हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने किस्म के प्रचार-प्रसार और बीज उत्पादन के लिए सहमति जताई.

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ राजेश कुमार ने नवचेतना संस्थान के नए प्रयासों की सराहना करते हुए तथा आशा जताई कि दोनों संस्थान भविष्य में क्षेत्र के किसानों की प्रगति के लिए अनेक प्रभावशाली कदम उठाएंगे. यह किस्म किसानों के लिए अगेती किस्म है जिससे उनका मुनाफा भी डबल होगा.

काशी पूर्वी 65-75 दिनों में होगी तैयार

डॉ राजेश कुमार ने बताया कि काशी पूर्वी यह किस्म अगेती प्रकृति की है, जिसमें 50% फूल आने में 35-40 दिन तथा पहली तुड़ाई 65-75 दिनों में हो जाती है. इसके पौधों में औसतन 10-13 फलियां होती हैं जिनकी लंबाई 8 से 8.5 सेमी तक होती है. विशेष बात यह है कि इसके अधिकांश डंठलों पर दो फलियां लगती हैं और काशी नंदिनी की तुलना में यह किस्म अधिक फलियांऔर जल्दी फसल देने वाली है.

मटर की इस किस्म से बढ़ेगी किसानों की आय

इसकी औसत फली उपज 108-117 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, साथ ही इसमें 50-52% छिलका एवं दाने की उपज दर है. अगेती होने के कारण यह मटर की प्रमुख बीमारियों से बच जाती है. इस लाइसेंसिंग समझौते से नवचेतना फार्म प्रोड्यूसर कंपनी के माध्यम से किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध हो सकेगा और उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होगा. वहीं दूसरी मटर की किस्म के मुकाबले करीब प्रति हेक्टेयर इसका 20 क्विंटल से अधिक उत्पादन भी है. 

रोग प्रतिरोधी है मटर की यह किस्म

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ राजेश कुमार ने बताया मटर की नई किस्म काशी पूर्वी  को खरीफ और रबी फसल के चक्र के बीच में भी बोया जा सकता है. मटर की यह किस्म जल्दी तैयार होने के चलते किसानों को इसका भरपूर फायदा मिलेगा. वहीं यह किस्म सफेद चूर्ण आशिता और रतुआ रोग से भी बची रहती है.

ये भी पढ़ें- गर्मी बढ़ने से आम की फसल पर कीटों के संक्रमण का खतरा, वैज्ञानिक ने बताए बचाव के उपाय

 

MORE NEWS

Read more!