1972 में बनी योजना, 78 में शुरू हुआ काम.... पढ़िए 45 साल में पूरी हुई सरयू नहर परियोजना की पूरी कहानी

1972 में बनी योजना, 78 में शुरू हुआ काम.... पढ़िए 45 साल में पूरी हुई सरयू नहर परियोजना की पूरी कहानी

सरयू नहर परियोजना के पूरा होने की आस किसानों ने छोड़ दी थी. चार दशक पहले शुरू हुई परियोजना सरकारों की सुस्त चाल की वजह से अधर में पड़ी रही. लेकिन सरकारों की सुस्ती से परियोजना का काम भंवर में फंसता चला गया.

सरयू नहर परियोजना का किसानों को मिल रहा लाभसरयू नहर परियोजना का किसानों को मिल रहा लाभ
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Aug 17, 2023,
  • Updated Aug 17, 2023, 2:30 PM IST

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बस्ती (Basti) जिले में सरयू नहर परियोजना (Saryu Canal Project) का पानी खेतों तक पहुंचने से किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं है. पूर्वांचल के करीब 29 लाख किसान इस परियोजना से सीधे लाभांवित हो रहे हैं. लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि पहली बार परियोजना का विचार कब आया, यह फाइलों में कब आई और इसे जमीन पर कब पहुंचाया गया. साल था 1972, जब इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी. यानी आज से 51 साल पहले. साल 1978... काम शुरू हुआ... यानी करीब 45 साल.  आज हम आपको बताएंगे आखिर इस परियोजना को शुरू होने में इतना टाइम क्यों लगा. जमीनी हकीकत समझने के लिए हमारी बातचीत सरयू नहर परियोजना के अधिशासी अभियंता राजेश कुमार गौतम से हुई.

गौतम ने बताया कि साल 1972 में जनपद बहराइच व गोंडा में 3 लाख 12 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई हेतु सरयू नहर परियोजना शुरू करने की परिकल्पना की गई थी. लेकिन सबसे बड़ी समस्य किसानों की जमीनों के अधिग्रहण करने में आई, जिसके कारण परियोजना को पूरी तरह से चालू करने में टाइम लगा. उन्होंने बताया कि साल 1982 में परियोजना को विस्तारित कर लाभान्वित जनपदों की संख्या बढ़कर नौ हो गई एवं सिंचाई का क्षेत्रफल भी साढ़े चार गुना बढ़कर 14 लाख 4 हजार हेक्टेयर हो गया. अधिशासी अभियंता ने बताया कि साल 1978 में प्रारंभ होने के बाद 5 दशकों तक बजट के निरंतर अभाव में परियोजना की रफ्तार बहुत ही धीमी थी, मोदी सरकार आने के बाद सरयू नहर परियोजना को युद्धस्तर पर निर्माण कार्य शुरू कराया गया.

वहीं, साल 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इस महत्वपूर्ण परियोजना को जल्द से जल्द पूर्ण कराने के सार्थक प्रयास किए. उनके द्वारा सुनिश्चित धनराशि की व्यवस्था किए जाने से 44-45 सालों से कछुवा की चाल चल रही परियोजना मात्र 4 वर्षों में ही पूरी हो गई है. इस परियोजना के जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदियों को नहरों द्वारा आपस में जोड़कर सिंचाई हेतु नहर प्रणालियों का निर्माण किया गया है.

साल 2017 में योगी सरकार ने सरयू नहर परियोजना के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया.

 

आरके गौतम ने आगे कहा कि इस परियोजना से पूर्वांचल के बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, श्रवस्ती, संतकबीरनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपदों की 14 लाख 4 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिल रही है, वहीं, 29 लाख किसान लाभांवित हो रहे है. किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों की दिशा में यह परियोजना मील का पत्थर साबित हो रही है. अब किसान बेहद खुश होकर खेतों की सिंचाई कर रहे हैं. 

परियोजना में 9803 करोड़ रुपये आई लागत

गौतम ने बताया कि 9803 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस परियोजना के अंतर्गत सरयू मुख्य नहर एवं राप्ती मुख्य नहर के साथ 10 शाखा नहरों 4 पंप नहरों सहित 6600 किलोमीटर लंबी 922 नहरों, का निर्माण किया गया है परियोजना में नहरों पर 922 हेट रेगुलेटर एवं 11048 पुलों एवं नेपाल से आने वाले व क्षेत्रीय नाला पर 1495 ड्रेनेज क्रसिंग का निर्माण भी किया गया है. उन्होंने बताया कि हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए नाली का निर्माण कार्य जारी है, जिससे आने वाले वक्त में हर किसान के खेत तक भरपूर पानी पहुंचेगा. जिससे किसानों की फसलों की पैदावार अच्छी होगी, वहीं उनकी आर्थित स्थिति मजबूत होगी.

किसानों ने कहा- हर खेत में पहुंच रहा पानी

बस्ती के दौलतपुर गांव के किसान अशोक पांडेय ने बताया कि सरयू नहर का पानी हमारे पूरे गांव में पहुंच रहा है. पहले हम लोगों को खेती करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन आज हम लोगों की फसलों को भरपूर पानी सिंचाई के लिए मिल रहा है.

1978 में बहराइच से शुरू हुआ था काम

पांडेय ने बताया कि पहले की सरकार सिर्फ वादा करती थी, लेकिन केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार के प्रयास से आज हमारे गांव के कई किसान लाभांवित हो रहे है. उधर,बस्ती के हरैया गांव की महिला किसान संगीता देवी ने बताया कि हमारे खेतों में आज पानी की कोई कमी नहीं है. उन्होंने बताया कि ज्यादा पानी आने से भी फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. 

मोदी सरकार का मास्टर प्लान

दरअसल, सरयू नहर परियोजना के पूरा होने की आस किसानों ने छोड़ दी थी. पांच दशक पहले शुरू हुई परियोजना सरकारों की सुस्त चाल की वजह से अधर में पड़ी रही. लेकिन सरकारों की सुस्ती से परियोजना का काम भंवर में फंसता चला गया. सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने मास्टर प्लान बनाकर परियोजना को पूरा करने का बीड़ा उठाया. आज सरयू नहर के जरिए सिंचाई का काम सुचारू रूप से जारी है. 

12 PM और 15 CM के कार्यकाल के गवाह बना प्रोजेक्ट

इस परियोजना की परिकल्पना 1971 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने की थी, लेकिन पूरा होने में पांच दशक बीत गए. सरयू नहर परियोजना देश के 12 प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के 15 मुख्यमंत्री के कार्यकाल की गवाह बन गई. पिछले चार साल में इस परियोजना के काम में तेजी लाई गई.

बाढ़ की समस्या से मिली बड़ी राहत

सरयू नहर परियोजना से जुड़े इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या राहत मिली है. सरयू नहर परियोजना के निर्माण से कई लाभ हुए है. एक तरफ जहां किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए मुफ्त पानी की सुविधा मिल रही है, वहीं दूसरी तरफ बाढ़ की त्रासदी भी कम हो गई. नदियों के पानी का डायवर्जन नहरों में होने से बाढ़ का असर कम होगा.

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इसको लेकर डीएम प्रियंका निरंजन ने कहा कि, सरयू नहर परियोजना को पूरा कर लिया गया है. अगर कहीं किसी जगह नहर में पानी नहीं आया है तो इसकी जांच कराकर कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने आग कहा कि इस परियोजना के चालू होने के हजारों किसानों को खेती करने में मदद मिल रही है.

 

 

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