सर्दी का असर पूरे उत्तर प्रदेश में दिखाई दे रहा है. इटावा जनपद में तापमान तीन से पांच डिग्री के बीच में लगातार बना हुआ है. इससे आम जनजीवन तो प्रभावित है ही, फसलों को भी भारी नुकसान होने की संभावना है. ऐसी स्थिति में इटावा के किसान अपने खेतों में आलू, सरसों और गेहूं की फसल को लेकर चिंतित दिखाई दे रहा हैं. इस चिंता को दूर करने के लिए किसानों ने एक नई तरकीब निकाल ली है जो चौंकाने वाली है.
इटावा में लगभग 80 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल, 25 हजार हेक्टेयर में सरसों और लगभग 15 हजार हेक्टेयर में आलू का उत्पादन किया जा रहा है. लेकिन तापमान कम होने से फसलों में बीमारी लगने और उत्पादन कम होने की संभावना बढ़ जाती है. कृषि विभाग की तरफ से समय-समय पर इस स्थिति से निपटने के लिए फर्टिलाइजर और दवाइयों को डालने की सलाह दी जाती है.
यहां के कुछ किसान अपने आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने और उत्पादन को बढ़ाने के लिए देसी शराब का प्रयोग करते दिखाई दे रहे हैं. क्षेत्र के किसान अपनी आलू की फसल में देसी दारू की बोतल को पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर रहे हैं. किसानों का मानना है कि इससे वे अपने खेतों को रोग से बचा सकते हैं और आलू का साइज बड़ा होने के साथ-साथ उत्पादन भी दुगना हो जाता है.
जब इस संबंध में कृषि अधिकारी उपनिदेशक से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शराब का फसलों पर छिड़काव करना घातक हो सकता है. इससे फसल को नुकसान तो होगा ही और उत्पादन के बाद आलू का सेवन भी नुकसानदायक होगा. शराब के प्रयोग से किसानों को बचना चाहिए. इसके लिए सुरक्षित पैदावार और कृषि की सुरक्षित तकनीक को अपनाना चाहिए.
छिड़काव करने वाले किसान ने बताया कि आलू की फसल पर छिड़काव के लिए उसने देसी दारू का पव्वा मिलाया है. आलू में झुलसा रोग आ रहा है. इसका छिड़काव करने से रोग बच जाएगा. इसका प्रयोग उसने पहली बार किया है. आसपास के लोगों ने उसे बताया है कि इसका प्रयोग करने से फायदा मिलेगा. किसान ने कहा कि अधिक ठंड पड़ेगी तो 15 दिन बाद फिर दोबारा से इसका छिड़काव कर दिया जाएगा. दवा इसलिए नहीं मिलाते क्योंकि इसमें खर्चा ज्यादा आता है. देसी दारू का प्रयोग सस्ता और कम खर्चे का छिड़काव है.
कृषि उपनिदेशक आर एन सिंह ने बताया कि इटावा में गेहूं, सरसों और आलू की फसलों की पैदावार होती है. सरसों अत्यधिक क्षेत्रफल में पैदा की जा रही है. सर्दी बढ़ना रबी की फसलों के लिए लाभदायक होता है. सर्दी अधिक पड़ने से गेहूं की पैदावार अधिक होती है. आलू में झुलसा रोग से बचाने के लिए थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है. सरसों में माहू का रोग लग सकता है. सरसों के लिए हल्के कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए.
आलू में झुलसा रोग से बचाव के लिए डाईथिंग एम 45 से ढाई लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 400 लीटर का घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए. कृषि उपनिदेशक आर एन सिंह ने कहा, आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को छिड़काव में शराब का प्रयोग नहीं करना चाहिए. यह घातक भी हो सकता है और नुकसानदायक भी रहेगा. इसके लिए फर्टिलाइजर का प्रयोग सुरक्षित है. किसानों से अनुरोध है कि ऐसा बिल्कुल न करें.(रिपोर्ट-अमित तिवारी)