एक तरफ जहां पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश हो रही है और लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल सहित कई इलाकों में मौसम की बेरुखी से किसान बेहाल हैं. पूर्वांचल में बारिश नहीं होने से धान की फसल प्रभावित हो रही है और अब तो किसानों को सूखे के आसार नजर आने लगे हैं.
धान का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में सूखे का प्रभाव है. जहां एक तरफ धान के खेत में पानी ना होने की वजह से दरारें पड़ गई हैं. किसान अपने धान की फसल को बचाने के लिए पंपिंग सेट के सहारे खेतों में पानी भर रहे हैं. चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है क्योंकि यहां धान की बहुत ही बेहतरीन किस्म की पैदावार होती है.
पूरे चंदौली जनपद में इस साल 116279 हेक्टेयर धान की खेती का लक्ष्य रखा गया था जबकि अब तक सिर्फ 82020 हेक्टेयर में धान की रोपाई हो पाई है. यह पूरे लक्ष्य का 70 प्रतिशत है. यानी यहां अभी भी 30 परसेंट खेत सूखे हैं जिनमें धान की रोपाई नहीं हो पाई है. चंदौली जनपद में 28 जुलाई तक 307.30 मिलीमीटर बरसात हो जानी चाहिए थी, लेकिन जुलाई महीने में महज 84 मिलीमीटर ही बारिश हुई है.
इसका सीधा असर धान की खेती पर पड़ रहा है. नहर के पानी और अन्य निजी संसाधनों से जिन किसानों ने धान की रोपाई कर ली थी, अब उनके लिए इस धान की फसल को बचाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. जो सक्षम लोग हैं वे पंपिंग सेट के माध्यम से खेतों में पानी पहुंचा कर अपनी धान की फसल को बचाने की कवायद में जुटे हैं.
किसानों का एक बड़ा हिस्सा है जो इंद्रदेव की राह तक रहा है. अब तो लोग इस इलाके में बारिश ना होने की वजह से त्राहिमाम कर रहे हैं और इलाके को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे हैं. किसान विवेक यादव कहते हैं कि बारिश नहीं होने की वजह से बहुत दिक्कत हो रही है. किसान इतने परेशान हो चुके हैं बारिश नहीं होने से की नहर में पानी तक नहीं है.
किसान विवेक कुमार कहते हैं कि सूखे से धान की खेती पर 90 परसेंट असर पड़ा है. चंदौली का एरिया धान का कटोरा है लेकिन बिना बारिश के धान होने वाला नहीं है. कोई किसान अपने धान की रोपाई कर ले रहा है, लेकिन जो लागत लग रही है वह निकलने वाली नहीं है.
किसान कहते हैं कि सरकार 2000 रुपये कुंटल धान लेगी और पानी का सिंचाई करने में ही 7000-8000 रुपये बीघा लग रहा है. नहरों का साधन नहीं है और न ही सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था है. किसान राकेश कुमार कहते हैं कि पूरे इलाके में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है और सूखे से किसान की फसलें जूझ रही हैं.