PHOTOS: लीची जैसा दिखता है ये विदेशी फल, बिहार में भी शुरू हुई पैदावार

फसलें

PHOTOS: लीची जैसा दिखता है ये विदेशी फल, बिहार में भी शुरू हुई पैदावार

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लीची का स्वाद को लगभग हर किसी को पसंद आता है और लोग इसे  खूब खाते भी हैं, पर क्या आपने लीची की तरह दिखने वाले फल लौंगन का स्वाद चखा है. वैसे तो लौंगन एक विदेशी फल है. यह थाईलैंड और वियतनाम में पाया जाता है. इस फल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. वहीं लीची वाले क्षेत्रों में किसान इसकी बागवानी कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.

 


 

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लौंगन का सीजन 20 जुलाई से 15 अगस्त तक बेहतर माना जाता है. फिलहाल इसकी बागवानी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के परिसर में हुई है. वहीं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा इसकी बागवानी के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.

 

 

 

 

 

 

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लौंगन का फल लीची जैसा ही होता है यानी यह लीची के कुल का ही फल है, जो खाने में मीठा होता है. लीची की तरह ही इसके पत्ते भी होते हैं. पेड़ भी वैसा ही होता है. बस यह लीची की तरह लाल और अंडाकार नहीं होता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लीची की तरह कीड़े नहीं लगते.

 

 

 

 

 

 

 

 

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केंद्र के वैज्ञानिकों की मानें तो इसमें एंटी पेन और एंटी कैंसर तत्व पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, कैरोटीन, विटामिन-के, रेटिनाल, प्रोटीन, फाइबर, एस्कार्बिक एसिड की पाए जाते हैं. ये सारे तत्व शरीर की अलग-अलग जरूरतों को पूरा कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.

 

 

 

 


 

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लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में ही इसकी खेती की शुरुआत की गई है. फिलहाल सभी पेड़ों पर अच्छी फल आ गई है. एक पेड़ पर लगभग एक क्विंटल की उपज हो सकती है. अभी लौंगन की फल का साइज काफी छोटा है और इसमें अभी वृद्धि होगी. 20 अगस्त से इसकी तुड़ाई शुरू होती है.

 

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अगर आप किसान हैं और लौंगन की खेती करना चाहते हैं तो उन्हें लीची की तरह ही इसके लिए भी गड्ढे करने होते हैं. मई-जून में गड्ढे को तैयार किया जाता हैं और जुलाई में इसकी बागवानी होती है. इसके लिए आपको पौधे मुजफ्फरपुर लीची अनुसंधान केंद्र में मिल जाएंगे. एक साल पुराने पौधे को लेकर किसान इसकी खेती शुरू कर सकते हैं.