हरियाणा और पंजाब में आज से गेहूं खरीद शुरू हो गई है. बात अगर हरियाणा की करें तो सरकार ने राज्य भर में गेहूं की खरीद के लिए 414 क्रय केंद्र खोले गए हैं. बाजार समिति के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने गेहूं खरीद के लिए सभी तैयारियां कर ली हैं. खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने खरीदे गए स्टॉक को मंडियों से गोदामों तक पहुंचाने के लिए टेंडर्स भी जारी कर दिए हैं. खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशालय ने कहा कि कुल 414 खरीद केंद्रों में से, सबसे अधिक 63 सिरसा जिले में स्थापित किए गए हैं. उसके बाद फतेहाबाद में 51 क्रय केंद्र खोल गए हैं.
कैथल और जींद जिलों में क्रमशः 43 और 41 खरीद केंद्र बनाए गए हैं, जहां सरसों की खरीद चल रही है. वहीं गेहूं की खरीद आज से शुरू होगी. खास बात यह है कि केंद्र सरकार ने गेहूं के लिए एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि सरसों का एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल है. राज्य सरकार ने यह अनिवार्य कर दिया है कि जिन किसानों ने अपनी रबी फसल का डेटा 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' (एमएफएमबी) पोर्टल पर अपलोड किया है, उनकी उपज खरीद केंद्रों पर एमएसपी पर खरीदी जाएगी.
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कुल रबी फसलों का लगभग 63 प्रतिशत एमएफएमबी पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है. भिवानी में जिला प्रशासन ने राजस्थान सीमा पर सड़कों पर निगरानी बढ़ा दी है, ताकि वहां के किसानों को हरियाणा की मंडियों में उपज लाने और यहां एमएसपी पर बेचने से रोका जा सके. एक अधिकारी ने कहा कि राजस्थान से उपज लाकर हरियाणा की अनाज मंडियों में एमएसपी पर बेचने की प्रथा पहले से ही चली आ रही थी. भिवानी की मंडियों में राजस्थान से रबी उपज की अनाधिकृत आवक को देखते हुए राजस्थान की सीमा से सटे लोहारू और सिवानी क्षेत्र में पुलिस नाके स्थापित किए गए हैं.
अधिकारी ने कहा कि उपायुक्त नरेश नरवाल ने इन चौकियों पर पुलिस के साथ-साथ नागरिक अधिकारियों को भी तैनात किया है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि राजस्थान से सरसों और गेहूं की उपज को भिवानी में अनुमति न दी जाए. डीसी ने सभी अधिकारियों को आदेशों का सख्ती से पालन करने का भी निर्देश दिया है. खरीद प्रक्रिया सुचारु रूप से चले इसके लिए डीसी ने प्रत्येक मंडी में समितियां भी गठित की हैं. डीसी ने कहा कि किसानों को खरीद के दौरान किसी भी समस्या का सामना नहीं करना चाहिए. एमएफएमबी पोर्टल पर पंजीकृत फसलें ही खरीदी जाएं. किसानों को टोकन प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. किसानों के लिए साफ-सफाई और अन्य उचित सुविधाएं होनी चाहिए.
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