केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को 2000 टन सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दी है. वैसे तो प्याज की निर्यातबंदी लागू है लेकिन सरकार ने सिर्फ 2000 टन के लिए छूट दी है. सफेद प्याज लाल प्याज जितना लोकप्रिय नहीं है, लेकिन अपने गुणों की वजह से वह कुछ लोगों की खास पसंद है. इसका उत्पादन लाल प्याज के मुकाबले काफी कम होता है इसलिए दाम ज्यादा होता है. इसका सबसे बड़ा उत्पादक गुजरात और दूसरा बड़ा उत्पादक महाराष्ट्र हैं. इसके अलावा ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में भी इसकी खेती की जाती है. कम उत्पादन होने की वजह से थोक मंडियों में इसकी बिक्री कम देखने को मिलती है.
सफेद प्याज का दाम बिग बास्केट पर 29 रुपये किलो है. इंडिया मार्ट पर इसका दाम 15 से 16 रुपये किलो चल रहा है. जबकि फ्लिपकार्ट पर यह 47 रुपये किलो के भाव पर बिक रहा है. ब्लिंकिट पर यह आउट ऑफ स्टॉक है. अगर आप बाजार में जाएंगे तो बहुत मुश्किल से किसी दुकान पर सफेद प्याज दिखेगा. इसलिए लाल और सफेद प्याज के दाम में भारी अंतर है. सफेद प्याज का उपयोग आमतौर पर व्यंजन बनाने के लिए नहीं किया जाता है, लेकिन यह बहुत स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है.
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जानकारों का कहना है कि सफेद प्याज शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है. इनमें सूजन-रोधी और एंटीबायोटिक गुण होते हैं . इसलिए इन्हें आयुर्वेद में काफी ऊंचा दर्जा दिया गया है. सफेद प्याज और लाल प्याज में कई चीजें समान हैं लेकिन उनमें कुछ ऐसे गुण भी हैं जो उन्हें अलग करते हैं. लाल प्याज की तुलना में सफेद प्याज में ज्यादा "एंटीबायोटिक और सूजन-रोधी" गुण बताया गया है. यही नहीं सफेद प्याज लाल प्याज जितना तीखा नहीं होता है. इसका स्वाद लाल प्याज की तुलना में कम तीखा और हल्का मीठा होता है. इसकी गंध भी हल्की होती है. इसलिए कई देशों में इस प्याज की मांग रहती है.
महाराष्ट्र में सफेद प्याज की खेती लाल प्याज के मुकाबले बहुत कम होती है. महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में अलीबाग के सफेद प्याज को 2021 में जीआई टैग मिला था. ऐसा दावा किया जाता है कि अलीबाग के सफेद प्याज में औषधीय गुण होते हैं. इसका इस्तेमाल हृदय रोगों के ईलाज, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और इंसुलिन के निर्माण के लिए किया जाता है.
अलीबाग तालुका के प्याज में कम तीखापन, मीठा स्वाद, ‘नो टियर’ फैक्टर, कम पाइरुविक एसिड, उच्च प्रोटीन, वसा और फाइबर आदि का उल्लेख है. हालांकि, इस बार जो सफेद प्याज के निर्यात में छूट दी गई है उसका ज्यादा फायदा गुजरात के किसानों को मिलने का अनुमान है. क्योंकि निर्यात की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब गुजरात के बागवानी आयुक्त निर्यात की जाने वाली वस्तु और मात्रा को प्रमाणित करेंगे.
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