पंजाब में दो सगे भाइयों ने कमरे में शुरू की केसर की खेती, इस तरह दूसरे प्रयास में मिली सफलता

पंजाब में दो सगे भाइयों ने कमरे में शुरू की केसर की खेती, इस तरह दूसरे प्रयास में मिली सफलता

मुक्तसर जिले के सहायक निदेशक, बागवानी कुलजीत सिंह ने कहा कि हमें मुक्तसर में केसर की खेती को लेकर कोई जानकारी नहीं है. पीएयू ने हमारे राज्य में इसकी खेती की सिफारिश नहीं की है. कुलजीत सिंह ने कहा कि यह जानकर अच्छा लगा कि हमारे जिले में दो भाइयों को केसर की खेती करने में सफलता मिली है

पंजाब में कमरे के अंदर केसर की खेती.(सांकेतिक फोटो)पंजाब में कमरे के अंदर केसर की खेती.(सांकेतिक फोटो)
वेंकटेश कुमार
  • noida ,
  • Nov 11, 2023,
  • Updated Nov 11, 2023, 7:29 AM IST

पंजाब के मुक्तसर जिले में दो भाइयों ने कमाल कर दिया है.  25 वर्षीय लॉ ग्रेजुएट रघु गुंबर और 31 वर्षीय बैंकर सोमिल गुंबर ने अपने घर के अंदर केसर की खेती करने में सफलता हासिल की है. दोनों भाइयों ने करीब 125 ग्राम तक केसर का उत्पादन किया है, जिसका मार्केट में हजारों रुपये कीमत है. खास बात यह है कि दोनों भाइयों को दूसरे प्रयास में सफलता हाथ लगी है. पिछले साल भी दोनों ने केसर की बुवाई की थी, पर उत्पादन नहीं हुआ था.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे भाई रघु गुंबर का कहना है कि हम दोनों भाइयों के पास खेती का कोई अनुभव नहीं है. हम दोनों बिजनेसमैन परिवार से आते हैं. खेती- किसानी से हमारा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. लेकिन इसके बावजूद हम कुछ अनोखा करना चाहते थे. तभी हमारे दिमाग में केसर की खेती शुरू करने का आइडिया आया. ऐसे में केसर की खेती करने के लिए सबसे पहले हमने सोशल मीडिया से जानकारी जुटाई. इसके बाद दोनों भाइयों ने मिलकर घर के अंदर ही एक कमरे में लैब बनवाया, जिसके ऊपर 6 लाख रुपये खर्च हुए.

कटाई नवंबर में शुरू होती है

रघु गुंबर ने कहा कि यह लैब तापमान को नियंत्रण करता है. इसके अंदर 10x10 फीट का एक केबिन बना हुआ है. इसके अलावा, हमने कुछ लकड़ी की ट्रे और लोहे के रैक भी खरीदें. उनकी माने तो केसर की खेती का मौसम जुलाई के अंत में शुरू होता है, जबकि, कटाई नवंबर में होती है.

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कश्मीर से खरीद कर लाया बीज

रघु गुंबर ने बताया कि हमने पिछले साल जम्मू-कश्मीर के पंपोर से केसर के बीज खरीदे थे. हालांकि, अपने पहले प्रयास में हमें सफलता नहीं मिली. इस साल हमने फिर से केसर की खेती में हाथ अजमाया. हमने लगभग 600 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बीज की खरीदारी की और इनडोर खेती शुरू की. रघु गुंबर ने कहा कि केसर की खेती करने के लिए लैब में तापमान,आर्द्रता और प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए स्वचालित उपकरणों की आवश्यकता होती है. साथ ही इस मृदा-मुक्त कृषि तकनीक को एरोपोनिक भी कहा जाता है. 

वहीं, रघु ने कहा कि अब तक, हमे 100-125 ग्राम केसर का उत्पादन मिला है. लेकिन हमें कुल 300- 350 ग्राम उपज मिलने की उम्मीद है. उसने कहा कि इसे बेचने के लिए एक कंपनी से बातचीत चल रही है.

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