टमाटर एक ऐसी सब्जी फसल है जिसका दाम बहुत तेजी से चढ़ता-उतरता है. आमतौर पर बाजार में इसका रेट अन्य सब्जियों के मुकाबले अच्छा बना रहता है, इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है. अगर अच्छी किस्मों के साथ टमाटर की खेती सही तौर-तरीके से की जाए तो बंपर कमाई हो सकती है. टमाटर की खेती साल में दो बार होती है. एक फसल जुलाई-अगस्त से शुरू होकर फरवरी-मार्च तक चलती है तो दूसरी नवंबर-दिसंबर से लेकर जून-जुलाई तक चलती है. रबी टमाटर की रोपाई का यह सही समय है. लेकिन इसकी नर्सरी डालने या रोपाई करने से पहले आप यह जरूर जान लें कि कौन-कौन सी किस्में ऐसी हैं जिनमें अच्छी पैदावार होती है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक एक हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए उन्नत किस्मों की 350-400 ग्राम और संकर किस्मों की 200-250 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. पौध की रोपाई 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी पक्तियों में व पौधे से पौधे की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर रखते हुए शाम के समय करें. ऐसा करना फायदे का सौदा होगा.
इसे भी पढ़ें: हरियाणा ने हासिल किया देश में धान खरीद का सबसे ज्यादा लक्ष्य, आखिर किन वजहों से मिली सफलता?
सामान्य परिस्थितियों में टमाटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम नाइट्रोजन के साथ 60 किलोग्राम फॉस्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश की जरूरत होगी. संकर किस्मों के लिए 213 किलोग्राम नाइट्रोजन, 240 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 250 किलोग्राम पोटाश की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करनी चाहिए. टमाटर की फसल को खाद देते समय ध्यान रहे कि रोपाई के समय नाइट्रोजन देने के लिए यूरिया की जगह आप दूसरी मिश्रित खाद या अमोनियम सल्फेट का प्रयोग कर सकते हैं. टॉप ड्रेसिंग के लिए यूरिया का प्रयोग भी कर सकते हैं.
टमाटर की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी जिसमें कार्बनिक तत्वों की मात्रा अधिक हो, सबसे उपयुक्त होती है. उच्च अम्लीयता वाली मिट्टी टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती. अम्लता के स्तर को सहनीय सीमा तक कम करने के लिए तीन साल के अंतराल पर खेत में तीन से चार क्विंटल उपयुक्त चूना डाला जा सकता है. टमाटर की खेती में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक टमाटर की उन्नत प्रजातियों में पूसा दिव्या, पूसा गौरव, पूसा संकर 1, पूसा संकर 2, पूसा संकर 4, पूसा संकर 8, पूसा रूबी, पूसा शीतल, पूसा उपहार, पूसा 120, अर्का सौरभ, अर्का विकास, एआरटीएच-3 और एआरटीएच-4 का नाम लिया जा सकता है. इन सबकी अच्छी पैदावार है. बीज किसी प्रमाणिक स्रोत से ही खरीदें, वरना नुकसान हो सकता है. चूंकि टमाटर का बीज काफी महंगा होता है इसलिए इसके पैकेट में दोयम दर्जे वाला बीज आने की संभावना ज्यादा रहती है.
इसे भी पढ़ें: पराली, दिवाली और किसानों को 'विलेन' बनाना बंद करिए...दिल्ली वालों की अपनी 'खेती' है प्रदूषण