एक हेक्टेयर में मटर की बुवाई करने पर क‍ितना लगेगा बीज, अच्छा मुनाफा देने वाली कौन-कौन सी हैं क‍िस्में?  

एक हेक्टेयर में मटर की बुवाई करने पर क‍ितना लगेगा बीज, अच्छा मुनाफा देने वाली कौन-कौन सी हैं क‍िस्में?  

Tips for Pea Cultivation: तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें अन्यथा फसल की उपज में कमी होगी तथा कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है. बुवाई से पहले म‍िट्टी में उचित नमी का ध्यान जरूर रखें, ताक‍ि अंकुरण अच्छा हो. 

मटर की खेती के लिए टिप्स. मटर की खेती के लिए टिप्स.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 28, 2024,
  • Updated Oct 28, 2024, 9:58 AM IST

मटर सब्जी और दलहन दोनों फसलों में ग‍िने जाने वाली मटर की अगर अगेती खेती की जाए तो यह कम समय में क‍िसानों को अच्छा मुनाफा देती है. भारतीय कृष‍ि अनुसंधान पर‍िषद से जुड़े वैज्ञान‍िकों ने इसके ल‍िए क‍िसानों को ट‍िप्स द‍िए हैं. मटर की बुवाई के ल‍िए अक्टूबर के अंत से लेकर 15 नवंबर तक के समय को अच्छा माना गया है. मटर के छोटे दाने वाली प्रजातियों के लिए बीज दर 50-60 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर जबक‍ि बड़े दाने वाली प्रजातियों के लिए 80-90 क‍िलोग्राम रखनी चाह‍िए. तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें अन्यथा फसल की उपज में कमी होगी तथा कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है.

इसकी बुवाई से पहले म‍िट्टी एवं बीज जनित कई फंगस एवं जीवाणुजनित रोग होते हैं. ये अंकुरण होते समय तथा बाद में बीजों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में बीजों के अच्छे अंकुरण तथा स्वस्थ पौधों की पर्याप्त संख्या के ल‍िए बीजों को कवकनाशी से बीज उपचार करने की एडवाइज दी गई है. बीज जनित रोगों के कंट्रोल के ल‍िए थीरम 75 प्रतिशत, कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत (2:1) 3.0 ग्राम या ट्राइकोडर्मा 4.0 ग्राम प्रति क‍िलोग्राम बीज की दर से शोधित कर बुवाई करनी चाहिए. 

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क‍ितनी खाद डालें 

उर्वरकों का प्रयोग म‍िट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाए. सामान्य दशाओं में मटर की फसल के ल‍िए नाइट्रोजन 15-20 किलोग्राम, फॉस्फोरस 40 क‍िलोग्राम, पोटाश 20 क‍िलोग्राम तथा गंधक 20 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है. म‍िट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर 15-20 क‍िलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर और 1.0-1.5 क‍िलोग्राम अमोनियम मॉलिब्डेट के प्रयोग की संस्तुति की गई है. 

मटर की उन्नत क‍िस्में 

बुवाई से पहले म‍िट्टी में उचित नमी का ध्यान जरूर रखें. भारत के विभिन्न क्षेत्रों व परिस्थितियों के लिए अप्रूव्ड मटर की उन्नत प्रजातियां एचएफपी 715, पंजाब-89, कोटा मटर 1, आईपीएफडी 12-8, आईपीएफडी 13-2, पंत मटर 250, पूसा प्रगति, आर्किल, एचएफपी 1428 (नई प्रजाति) एवं सपना प्रमुख हैं.

खरपतवार कैसे कंट्रोल करें

पौधों की पक्तियों में उचित दूरी खरपतवार की समस्या को कंट्रोल करने में काफी मददगार साब‍ित होती है. एक या दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती हैं. पहली निराई पहली सिंचाई से पहले तथा दूसरी निराई, सिंचाई के बाद ओट आने पर जरूरत के ह‍िसाब से करनी चाहिए. बुवाई के 25-30 दिनों बाद एक निराई-गुड़ाई जरूर कर दें.

खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण फ्लूक्लोरोलीन 45 प्रतिशत ई.सी. की 2.2 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 800-1000 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के तुरंत पहले मिट्टी में मिलानी चाहिए. पेंडीमेथिलीन 30 प्रतिशत ई.सी. की 3.30 लीटर या एलाक्लोर 50 प्रतिशत ई.सी. की 4.0 लीटर अथवा बासालिन 0.75-1.0 क‍िलोग्राम मात्रा पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर फ्लैट फैन नोजल से बुवाई के 2-3 दिनों के अंदर स्प्रे करना चाह‍िए. 

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