मक्का और सब्जी फसलों के लिए चमत्कारी है ये देसी मशीन, 600 रुपये में पूरा हो जाता है निराई का काम

मक्का और सब्जी फसलों के लिए चमत्कारी है ये देसी मशीन, 600 रुपये में पूरा हो जाता है निराई का काम

मक्के को विश्व में खाद्य फसलों की रानी कहा जाता है. क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता खाद्यान्न फसलों में सबसे अधिक है. पहले मक्के को खासकर गरीबों का मुख्य भोजन माना जाता था. जबकि अब ऐसा नहीं है. अब इसका उपयोग मानव भोजन (25%) के साथ-साथ मुर्गीपालन (49%), पशु आहार (12%), स्टार्च (12%), शराब (1%) और बीज (1%) के रूप में भी किया जाता है.

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प्राची वत्स
  • Noida,
  • Dec 27, 2023,
  • Updated Dec 27, 2023, 4:53 PM IST

मक्का देश की प्रमुख खाद्य फसल में से एक है. इसकी खेती मुख्य रूप से भारत के प्रमुख राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश में की जाती है. भारत में चावल और गेहूं के बाद मक्का तीसरी सबसे महत्वपूर्ण अनाज की फसल है. यह देश में कुल अनाज उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है. पशुओं से लेकर इंसानों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है. मक्का हजारों औद्योगिक उत्पादों के लिए एक मूल कच्चे माल के रूप में कार्य करता है. जिसमें स्टार्च, तेल, प्रोटीन, मादक पेय पदार्थ, खाद्य स्वीटर्स आदि शामिल हैं. ऐसे में इस फसल की निराई गुड़ाई के लिए यह देशी मशीन बेहद चमत्कारी है. क्या है इसकी उपयोगिता आइए जानते हैं. 

क्या है व्हील फिंगर वीडर मशीन?

व्हील फिंगर वीडर पंक्ति वाली फसलों जैसे चावल, जूट, मक्का और सब्जी फसलों की निराई के लिए उपयुक्त है. यह एक मैनुअल मशीन पुल और पुश प्रकार का वीडर है. वीडर में एक फ्रेम, पहिया, एक हैंडल और पांच घूमने वाली उंगलियां होती हैं. उंगलियों के बीच का अंतर एक जैसा होता है. जैसे ही ऑपरेटर हैंडल को आगे-पीछे घुमाता है, उसकी उंगलियां मिट्टी में घुस जाती हैं, और फिर उसे ढीला कर देती हैं जिस वजह से खरपतवार उखड़ जाते हैं. इस उपकरण की क्षेत्र क्षमता 0.022-0.025 हेक्टेयर प्रति घंटा है. साथ ही इस मशीन की लागत 600 रूपये है.

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इन चीजों में किया जाता है मक्के का इस्तेमाल

मक्के को विश्व में खाद्य फसलों की रानी कहा जाता है. क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता खाद्यान्न फसलों में सबसे अधिक है. पहले मक्के को खासकर गरीबों का मुख्य भोजन माना जाता था. जबकि अब ऐसा नहीं है. अब इसका उपयोग मानव भोजन (25%) के साथ-साथ मुर्गीपालन (49%), पशु आहार (12%), स्टार्च (12%), शराब (1%) और बीज (1%) के रूप में भी किया जाता है. इसके अलावा मक्के का उपयोग तेल, साबुन आदि बनाने में भी किया जाता है. भारत में मक्के से 1000 से अधिक उत्पाद बनाये जाते हैं.

मक्के का पाउडर अमीर लोगों का मुख्य नाश्ता है. मक्के का पाउडर छोटे बच्चों के लिए एक पौष्टिक आहार है और इसके दानों को भूनकर भी खाया जाता है. मक्के की खेती शहरों के आसपास मुख्यतः हरे भुट्टे के लिए की जाती है. आजकल मक्के की विभिन्न प्रजातियों का अलग-अलग तरीके से उपयोग किया जाता है. मक्के को पॉपकॉर्न, स्वीटकॉर्न और बेबीकॉर्न के रूप में मान्यता दी गई है.

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