Sugarcane Farming : पिछले 8-9 साल में उत्तर प्रदेश, हरियाणा पंजाब और उत्तराखंड के गन्ना किसानों के लिए खुशहाली लाने में गन्ने की किस्म सीओ 0238 का अहम रोल रहा है. साल 2012-13 के बाद लाखों किसानों ने सीओ 0238 गन्ना अपनाया औऱ यह किस्म बहुत पसंद की गई. इस किस्म से पैदावार में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई. इसमें रस की मात्रा अधिक होने और वजन बढ़ने के कारण इससे गन्ने की पेराई से किसानों को अधिक लाभ हुआ. उत्तर प्रदेश में चीनी की परता नौ प्रतिशत से बढ़कर लगभग 11 प्रतिशत हो गई. इससे चीनी मिलों को ये किस्म खूब रास आई. इसके बाद इस किस्म का क्षेत्रफल तेजी से बढ़ता गया, लेकिन साल 2017 में वंडर किस्म सीओ 0238 पर लाल सड़न रोग (रेडराट )की काली छाया पड़नी शुरू हो गई और अब यह रोग इस किस्म पर अपना आक्रामक रूप दिखा रहा है. यह रोग इस किस्म की पहचान को मिटाने पर तुला है. भारतीय गन्ना अनुसंधान सस्थान लखनऊ ने सुझाव दिया है कि गन्ने को इस रोग की जकड़ से बाहर निकालने के लिए चीनी मिल को अपने कमांड क्षेत्र में CO-0238 की खेती 40 प्रतिशत क्षेत्र तक सीमित कर देनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश में 2021-22 में गन्ने की इस किस्म की खेती 20.78 लाख हेक्टेयर में की गई थी. गन्ने पर अखिल भारतीय समन्वयक अनुसंधान परियोजना गन्ना (AIRCP SUGARCANE) की एक रिपोर्ट के अनुसार, किस्म Co 0238 को अपनाने से किसानों और मिल मालिकों दोनों को फायदा हुआ है. AIRCP SUGARCANE रिपोर्ट के अनुसार, सीओ 0238 को अपनाने के कारण साल 2012-2013 में उत्तर प्रदेश में गन्ने की उत्पादकता 61.6 टन प्रति हेक्टेयर थी. साल 2015-16 में यह बढ़कर 66 टन प्रति हेक्टेयर और चीनी परता 2012 13 में 9.18 थी, वहीं साल 2015 -2016 में चीनी परता 10.61 हो गया था .
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 21-22 में उत्पादकता 82.31 टन प्रति हेक्टेयर थी और 72 फीसदी किसानों ने सीओ 0238 की बुआई की थी. ICAR के मुताबिक इस गन्ने में 12 फीसदी गन्ने की रिकवरी होती है, AIRCP SUGARCANE रिपोर्ट के मुताबिक इससे किसानों को प्रति हेक्टेयर 34196 रुपये का अतिरिक्त मुनाफा हो रहा है. वहीं गन्ना मिलों को प्रति हेक्टयर 12499 रु का लाभ हो रहा है. गन्ने के बढ़ते उत्पादन और चीनी रिकवरी से उत्तर प्रदेश के किसानों और मिलो को 3044 करोड़ रुपये हर साल अतिरिक्त फायदा मिला है. इस किस्म की शुरुआत से उपोष्णकटिबंधीय राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार और उत्तराखंड के लाखों किसानों को आजीविका सुरक्षा और समृद्धि मिली है.
साल 2012-13 के बाद किस्म के कारण CO-238 में राज्य में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता हर साल बढ़ती चली गई , लेकिन गन्ने का लाल सड़न रोग वंडर गन्ना के नाम से मशहूर सीओ 0238 किस्म के लिए खतरा बन गया है, जिससे गन्ना किसानों की आय और गन्ना मिलों का मुनाफा दोनों प्रभावित हो रहा है. गन्ने किस्म CO-238 का रकबा जहां साल 21-22 में 20.78 लाख हेक्टेयर था. वह घटकर साल 2023-24 में गन्ना लाल सड़न रोग के कारण रकबा घटकर 17.76 लाख हेक्टेयर रह गया है. यानी इसमें करीब 12 फीसदी की कमी आई है.
ये भी पढ़ें:- Agri Quiz: किस फसल को वाइट गोल्ड ऑफ इंडिया कहा जाता है, क्या है इसकी खासियत और फायदे?
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (IISR लखनऊ ) के एक सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्य गन्ना उत्पादक जिले मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, हापुड, मुरादाबाद, बरेली, पिलीभीत, लखीमपुर खीरी, शाहजहाँपुर, सीतापुर, बहराईच, गोंडा, अयोध्या, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और बिहार के सभी स्थानों के कमांड क्षेत्रों में सीओं 0238 किस्म में गन्ने में लाल सड़न रोग का प्रकोप काफी ज्यादा है. इन जिलों में 25 से लेकर 75 प्रतिशत फीसदी तक गन्ने की फसल प्रभावित हो रही है.जबकि इसकी तुलना में पंजाब हरियाणा में समस्या थोड़ा कम है. इन राज्यों में 10 फीसदी से 35 फीसदी गन्ने की फसल प्रभावित हो रही है. IISR लखनऊ का सुझाव है हरियाणा पंजाब में किस्म CO-0238 खेती को 40 फीसदी तक सीमित करके इस किस्म की खेती को जारी रखा जा सकता है. मगर यूपी और बिहार में लाल सड़न रोग की महामारी के कारण गन्ने की खेती के लिए स्थिति चिंताजनक है.
IISR लखनऊ के एक सर्वे में पाया गया है कि अधिकांश क्षेत्रों में, लाल सड़न रोगज़नक़ संक्रमित बीज गन्ने के माध्यम से अधिकतर खेतों में पहुंच गया है, क्योकि अधिकतर किसान गन्ने की खेती के लिए पुराने बीज का इस्तेमाल करते हैं या किसी रिश्तेदार या पास के खेत से गन्ने का बीज लेते हैं . किसानों के खेत में हमेशा गन्ने के लाल सड़न रोग प्रकोप होता रहता है, दूसरा बाऱिश के पानी, सिंचाई जल कीटों से फैलता है . कुल मिलाकर, लाल सड़न के प्रकोप के कारण गन्ने की उपज में गिराबट आएगी और रिकवरी कम होगी . यह किस्म जिस पहचान के साथ उभरी थी वह लाल सड़न रोग की काली छाया के कारण कम होती जा रही है.
IISR लखनऊ का कहना है पिछले कई दशकों के दौरान उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र के राज्य उत्तर प्रदेश पंजाब , हरियाणा और उत्तराखंड में गन्ने की लाल सड़न समस्या गन्ने की खेती के लिए खतरा रहा है इसके पहले गन्ने की बेहतर किस्में सीओ 213, सीओ 312, सीओ 421,सीओ 453, सीओ 1148, सीओ 7717, सीओएस 8436, कोसे 92423, कोसे 95422, लाल सड़न का शिकार हो गई है. जिससे किसानों इन किस्मों की खेती को छोड़ना पडा है अब इसके जद में सीओ-0238 किस्म आ गई है.
ये भी पढ़ें- Rajasthan News: किसानों के लिए सरकार के अहम फैसले, जो आपके लिए जानना जरूरी
भारतीय गन्ना अनुसंधान सस्थान लखनऊ ने सुझाव दिया है.किसानों और चीनी मिलों को बडे क्षेत्र में गन्ने के पुराने बीज बदलने की जरूरत है. सिफारिश है कि चीनी मिल के कमांड क्षेत्र में CO-0238 का रकबा 40 फीसदी से अधिक बढ़ाने से बचना चाहिए और टिकाऊ तरीके से बेहतर उत्पादन देने वाली दूसरी किस्मों का गन्ना क्षेत्रों में बुवाई करना चाहिए. गन्ने में लाल रोग की रोकथाम के लिए उपायो को किसानों को अपनाना चाहिए.