बासमती के न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाने की उठी मांग, क्या ज्यादा MEP के चलते हो रहा है नुकसान?

बासमती के न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाने की उठी मांग, क्या ज्यादा MEP के चलते हो रहा है नुकसान?

सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि बासमती निर्यातक इस साल किसानों से बासमती खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि पिछले दो सालों से प्रतिबंधात्मक निर्यात नीतियों के कारण उनके गोदाम भरे हुए हैं. उद्योगपति मौजूदा एमईपी पर निर्यात करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि पाकिस्तान 750 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के एमईपी पर उत्पाद का निर्यात कर रहा है.

वैश्वीक अनाज बाजार में घट रहा भारत का घट रहा दब दबवैश्वीक अनाज बाजार में घट रहा भारत का घट रहा दब दब
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 19, 2024,
  • Updated Aug 19, 2024, 4:26 PM IST

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को केंद्र सरकार से बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 950 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 750 अमेरिकी डॉलर प्रति टन करने का आग्रह किया. ताकि किसानों को बेहतर कीमत मिल सके और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस किस्म का कॉम्पिटिशन बढ़े. एसएडी अध्यक्ष ने कहा कि भले ही इस साल बंपर फसल की उम्मीद थी, लेकिन अगर सरकार चावल की किस्म के लिए एमईपी की समीक्षा नहीं करती है तो बासमती किसानों को इसका फायदा नहीं होगा. किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की मंशा को पूरा करने के लिए भी यह जरूरी है.

बादल ने कहा कि बासमती निर्यातक इस साल किसानों से बासमती खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि पिछले दो सालों से प्रतिबंधात्मक निर्यात नीतियों के कारण उनके गोदाम भरे हुए हैं. उद्योगपति मौजूदा एमईपी पर निर्यात करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि पाकिस्तान 750 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के एमईपी पर उत्पाद का निर्यात कर रहा है. उन्होंने कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय बासमती बाजार भी प्रभावित हुआ है और अनिश्चितता पैदा हुई है. उन्होंने कहा कि बासमती पर एमईपी की समीक्षा से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और देश में कीमतों में भी उछाल आएगा, जिससे पंजाब और हरियाणा सहित उत्तरी क्षेत्र के किसानों को मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें- Wheat Price: गेहूं के दाम में भारी उछाल, 50 रुपये क‍िलो हुआ अध‍िकतम भाव, जान‍िए क‍ितना है मंडी रेट

20 प्रतिशत निर्यात शुल्क वापस लेने की मांग

बादल ने साथ ही गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के साथ-साथ उबले चावल के निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत शुल्क को वापस लेने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जहां देश कीमती विदेशी मुद्रा खो रहा है, वहीं कीमतों में स्थिरता के कारण किसान भी आर्थिक संकट में हैं. बादल ने कहा कि हमें किसानों के कल्याण के लिए मौजूदा प्रतिबंधों को हटाकर बासमती चावल के साथ-साथ गैर-बासमती चावल दोनों के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए. 

पंजाब में बासमती धान के रकबे में बंपर बढ़ोतरी

वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि पंजाब में बासमती धान के रकबे में 12.58 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कहा जा रहा है कि राज्य सरकार के फसल डायवर्सिफिकेशन अभियान की वजह से बासमती धान के रकबे में बढ़ोतरी हुई है. सरकार को उम्मीद है कि रकबे में बढ़ोतरी होने से बासमती का उत्पादन भी बंपर होगा. इससे किसानों की इनकम में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, प्रदेश के कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुदियान का कहना कि लंबे दाने वाले सुगंधित बासमती चावल की खेती वर्तमान में 6.71 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गई है, जो पिछले खरीफ सीजन के 5.96 लाख हेक्टेयर से बहुत अधिक है.

ये भी पढ़ें- डेयरी के लिए बेस्ट हैं ये दो देसी गायें, रख-रखाव, खानपान और कमाई का तरीका जानें

 

MORE NEWS

Read more!