गन्ना किसानों के लिए फसल में लगने वाला ह्वाइट ग्रब कीट से होने वाली बीमारी या सफेद लट रोग बड़ी समस्या बनकर उभरा है. इस रोग की वजह से पैदावार पर बुरा असर पड़ता है. जबकि, गन्ने का विकास धीमा हो जाता है. ह्वाइट ग्रब कीट गन्ने के पौधे की जड़ों को धीरे-धीरे खा जाता है, जबकि तने में मौजूद रस को चूसकर उसे खोखला कर देता है. इस कीट के असर से पौधे में सफेदी लग जाती है. इस कीट से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सरकारी संस्था इफको शिरासागी दवा लाई है.
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक समेत कई राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर गन्ना की फसल करते हैं. गन्ना उत्पादन में महाराष्ट्र पहले नंबर पर और उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर रहता है. अप्रैल तक देश में 320 लाख टन शक्कर का उत्पादन करने में सफलता है मिली है, जो अनुमानित उत्पादन 316 लाख टन से अधिक है. उपज बढ़ाने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों में ह्वाइट ग्रब कीट बाधा बन जाता है. यह कीट गन्ने की जड़ को खाता है, जिससे पौधे में सफेदी लग जाती है और पौधे का विकास थम जाता है.
ह्वाइट ग्रब कीट के असर से होने वाले रोग को किसान सफेद लट रोग के नाम से भी जानते हैं. इसकी रोकथाम के लिए भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संघ (IFFCO) दवा-कीटनाशक शिरासागी (फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG) लेकर आया है. इसे घर बैठे ऑफिशियल वेबसाइट www.iffcobazar.in से ऑनलाइन मंगाया जा सकता है. 900 रुपये कीमत वाली यह दवा आपके ऑर्डर करने के 3 से 5 दिनों के अंदर घर पहुंच जाएगी.
इफको के अनुसार गन्ना की फसल को ह्वाइट ग्रब कीटों से बचाने के लिए शीरासागी दवा का इस्तेमाल काफी आसान है. एक एकड़ क्षेत्रफल में 200 ग्राम दवा को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. छिड़काव के लिए 290 दिनों का गैप रखना चाहिए.
दवा को इस्तेमाल करने से पहले लेबल और लीफलेट को पढ़ लें और निर्देशों का पालन करें. उत्पादों के पैकेज का निपटान सुरक्षित ढंग से किया जाना चाहिए, ताकि पर्यावरण और जल प्रदूषण ना हो.