प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नासिक (महाराष्ट्र) दौरे को लेकर पुलिस अलर्ट है. वो किसान नेताओं पर नजर रख रही है. इन नेताओं के घर पर सिविल ड्रेस में पुलिस लगा दी गई है. ताकि वो प्रधानमंत्री के वापस दिल्ली आने से पहले कोई धरना-प्रदर्शन न कर सकें और कोई काले झंडे न दिखाए. दरअसल, केंद्र सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है, जिससे दाम काफी घट गए हैं. ऐसे में महाराष्ट्र के किसानों में केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश है. इसलिए कुछ किसान संगठनों ने कहा था कि प्रधानमंत्री को नासिक दौरे से पहले एक्सपोर्ट बैन का फैसला वापस लेना चाहिए वरना वो उनके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. बताया गया है कि नासिक के कई किसान नेताओं को नोटिस जारी किया गया है. इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि ये किसान रोड शो और सभा स्थल पर न आएं.
अभी तक सरकार ने एक्सपोर्ट बैन उठाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है. प्रधानमंत्री आज 12 जनवरी को नासिक में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय युवा महोत्सव की शुरुआत करने जा रहे हैं. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है और नासिक महाराष्ट्र में प्याज उत्पादन का गढ़ है. ऐसे में यहां प्रधानमंत्री के आगमन पर किसान संगठनों द्वारा धरना-प्रदर्शन या काले झंडे दिखाए जाने की आशंका है. इसलिए राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस ने एहतियातन किसान नेताओं पर पुलिस के जरिए नजर रख रही है.
इसे भी पढ़ें: एक्सपोर्ट बैन से प्याज उत्पादक किसानों को कितना नुकसान, इस रिपोर्ट को पढ़कर हो जाएंगे हैरान
तीन कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी के सदस्य रहे अनिल घनवट ने बताया कि उन्हें उनके अहमदनगर (महाराष्ट्र) स्थित घर पर पुलिस ने अपनी नजर में रखा हुआ है. क्योंकि उन्होंने किसानों से प्याज और अन्य फसलों के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की अपील की है. हमने किसानों से अपील की है कि "मोदी वापस जाओ, प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटाओ. इसलिए मेरे सहित राज्य के उन प्रमुख किसान नेताओं पर पुलिस ऐसे ही नजर रखे हुए है जो प्याज के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि उन्हें उनके नासिक स्थित आवास पर पुलिस कल से घेरकर बैठी थी. अब वो अपने गांव पहुंचे हैं तो वहां भी साथ-साथ सिविल ड्रेस में दो पुलिस वाले आए हैं. उन्होंने किसान तक से कहा, "मुझे नासिक के पुलिस आयुक्त ने बुलाया था. तब मैंने उन्हें बोला था कि हम प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करना चाहते. हमने अपने सभी सदस्यों से ये बात कह दी है. लेकिन हम कुछ लोग प्रधानमंत्री से मिलकर प्याज किसानों का दर्द रखना उनके सामने रखना चाहते हैं. हमें उनसे मिलने की व्यवस्था करवाई जाए. मिलने की व्यवस्था तो हुई नहीं उल्टे पुलिस उन पर नजर रखे हुए है. किसानों से सरकार इतना क्यों डर रही है, समझ में नहीं आ रहा है."
दिघोले का कहना है कि सरकार अगस्त 2023 से ही हाथ धोकर प्याज किसानों के पीछे पड़ी हुई है. उनका दाम नहीं बढ़ने दे रही है. सरकार का यह तरीका ठीक नहीं है. प्याज किसानों के साथ सरकार अपने दुश्मन के तौर पर व्यवहार कर रही है. इसलिए महाराष्ट्र के किसान गुस्से में हैं. प्याज का एक्सपोर्ट बैन होने से उनका खुद करीब 4 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है. ऐसे ही तमाम किसानों को नुकसान झेलना पड़ा है. हम सरकारी नीतियों की वजह से नुकसान भी झेलें और सरकार हमारी सुनेगी भी नहीं, यह कहां का न्याय है. केंद्र सरकार के फैसलों ने प्याज किसानों को बर्बाद कर दिया है.
केंद्र सरकार ने पहले 17 अगस्त को प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 फीसदी ड्यूटी लगाई. फिर 28 अक्टूबर को 800 यूएस डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) लगाया. इससे भी दाम नहीं कंट्रोल हुआ तो अपना अंतिम हथियार इस्तेमाल करते हुए 7 दिसंबर की देर रात एक्सपोर्ट ही बैन कर दिया. दिघाले ने सरकार से सवाल किया कि उपभोक्ताओं को खुश करने के लिए किसानों को कब तक मारा जाता रहेगा. क्या आप प्याज के मामले में भी भारत को आयातक देश बनाना चाहते हैं. अगर हां, तो अब किसान आपकी नीतियों से परेशान होकर प्याज की खेती या तो छोड़ रहे हैं या फिर कम कर रहे हैं.
इसे भी पढ़ें: किसान आंदोलन की आहट के बीच क्या एमएसपी कमेटी ले पाएगी कोई फैसला, किसानों को कैसे मिलेगा सही दाम?