Bihar News: धान खरीद के नए फरमान पर भड़के किसान, सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

Bihar News: धान खरीद के नए फरमान पर भड़के किसान, सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

बिहार के किसानों ने कहा पराली जलाने का उन्हें शौक नहीं है. लेकिन सरकार के द्वारा बेहतर व्यवस्था नहीं होने की वजह से पराली जलाने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि सरकार पराली को लेकर खुद कोई ठोस कदम उठाए तो बात बने, अन्यथा पराली यूं ही जलती रहेगी. 

खेत में पराली जलते हुए . फोटो -किसान तक खेत में पराली जलते हुए . फोटो -किसान तक
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • PATNA,
  • Nov 02, 2023,
  • Updated Nov 02, 2023, 12:01 PM IST

'कोई किसान पराली को निपटाने के लिए अपने खेतों में आग लगाना नहीं चाहता है. लेकिन उनके सामने खेत में पराली जलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान मिट्टी की उर्वरा शक्ति कैसे खत्म हो जाती है, इसके बारे में भी पढ़ा है जिसमें पराली यानी पुआल खेत में जलाना भी एक कारण बताया गया था. लेकिन चार पांच बीघे की खेती करने वाला किसान अपनी खेती करे कि पराली प्रबंधन करे. वैसे भी सरकार किसानों की धान खरीद ही कहां कर पाती है. यह वाक्य पटना जिले के बिहटा प्रखंड के कंचनपुर गांव में धान की खेती करने वाले किसानों की है. 

राज्य सरकार ने खेतों में पराली जलाने वाले किसानों से धान की खरीदारी नहीं करने का निर्णय लिया है जिसके बाद से राज्य के किसान इस पर अपनी राय दे रहे हैं. वहीं राज्य में एक नवंबर से उत्तर बिहार में धान की खरीदी शुरू हो चुकी है. इसके साथ ही दक्षिण बिहार में 15 नवंबर से धान की खरीदी होनी है. पिछले साल की तरह इस बार भी सरकार ने 45 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है. वहीं इसकी खरीदारी राज्य के करीब आठ हजार 463 पैक्स और करीब 500 व्यापार मंडल की ओर से की जाएगी. लेकिन ये एजेंसियां उन किसानों से धान नहीं खरीद रहीं हैं जो खेत में पराली जलाने के दोषी हैं. 

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पराली जलाने में नहीं मिलती खुशी

कंचनपुर गांव के रहने वाले जागेश्वर प्रसाद, सुधांशु कुमार, राबट कुमार, संजय कुमार, हरी चरण पासवान और सत्यनारायण शाह जैसे कई किसान बताते है कि कोई किसान पराली खुशी मन से खेत में नहीं जलाता है. बल्कि पराली जलाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. वहीं पराली प्रबंधन को लेकर जो मशीन है, उसकी कीमत लाखों रुपये में है. केवल पराली को लेकर कोई किसान इतनी महंगी मशीन की खरीदी आखिर क्यों करेगा.

किसान संजय कुमार कहते हैं कि पूरे साल जो कंपनी और गाड़ी वायु प्रदूषण फैलाते हैं, क्या उनसे ज्यादा किसान पराली जलाकर वायु प्रदूषित कर रहे हैं. किसान खुद परेशान हैं. वे किसी और को क्या परेशान करेंगे. वैसे भी सरकार की एजेंसी हर किसान से धान खरीद भी नहीं पाती है. किसान प्राइवेट व्यापारी को ही धान बेचते हैं. तो इस निर्णय से कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. 

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कृषि अधिकारी भी हों सस्पेंड

भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सिंह कहते हैं कि पराली जलाने वाले किसानों से बिहार सरकार धान की खरीदारी नहीं करेगी. इसके साथ ही कृषि से जुड़ी कई योजनाओं से भी वंचित कर रही है. लेकिन पराली का बेहतर प्रबंधन नहीं करने में केवल किसान ही दोषी हैं. राज्य सरकार के कृषि अधिकारी दोषी नहीं हैं. सरकार को चाहिए कि जिस जिले के प्रखंड, पंचायत में पराली जलाने की अधिक समस्या है, उस इलाके के अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो. हर बात पर किसानों को दोषी ठहराना सही नहीं है.

 

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