महाराष्ट्र में प्याज की घटती कीमतों के बीच केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत विभाग के निर्देश पर नाफेड ने नासिक बेल्ट में लेट खरीफ सीजन के प्याज की खरीदारी शुरू की है. नाफेड खरीदे गए स्टॉक को महाराष्ट्र के बाहर उपभोग केंद्रों में भेज रहा है. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है, जो देश के कुल उत्पादन का 40 फीसदी प्याज पैदा करता है. इसमें सबसे बड़ा उत्पादक जिला नासिक है, जहां पर इन दिनों खरीफ सीजन का प्याज किसान महज 4-5 रुपये प्रति किलो के रेट पर बेचने को मजबूर हैं. ऐसे में किसान सरकार की आलोचना कर रहे हैं. किसानों की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने नाफेड से प्याज की खरीद करने को कहा है.
हालांकि, नाफेड यह स्पष्ट नहीं कर रहा है कि वो किसानों से कितने रुपये किलो प्याज खरीदेगा और कितनी खरीदेगा.लेकिन, इतना तो तय है कि नाफेड द्वारा खरीद करने से किसानों के पक्ष में एक माहौल बनेगा. आमतौर पर नाफेड, अप्रैल से अक्टूबर तक रबी सीजन का प्याज खरीदता रहा है. लेकिन, इस साल प्याज के दाम में रिकॉर्ड कमी की वजह से सरकार ने उसे फरवरी में लेट खरीफ सीजन का प्याज खरीदने को कह दिया है. इस बीच कम दाम से परेशान महाराष्ट्र के किसान मंडियों में आंदोलन करने की योजना भी तैयार कर रहे हैं.
नाफेड के डायरेक्टर अशोक ठाकुर ने बताया कि मार्केट में जो रेट होगा. नाफेड उससे कुछ अधिक ही किसानों को देगा. नाफेड के खरीदने में उतरने से ही किसानों के पक्ष में माहौल बनना शुरू होगा और दाम बढ़ जाएंगे. उन्होंने बताया कि पिछले साल हमने रबी सीजन का प्याज 4 लाख टन खरीदने का फैसला लिया था, जबकि 2.5 टन ही खरीदा जा सका. इस बार उम्मीद है कि उससे अधिक खरीद होगी.
महाराष्ट्र में किसानों को प्याज़ का दाम 1 रूपये से लेकर 5 रूपये प्रति किलो का भाव मिल रहा हैं इसके चलते परेशान किसान अपनी रबी सीजन की तैयार प्याज़ की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर रहे हैं. उनका कहना बाज़ार में मिल रहा इतना कम भाव से हम लागत भी नहीं. प्याज़ की खेती प्रति किलो में 18 से 20 रूपये ल्क खर्च आता हैं.और बाज़ार में 1 से 5 रूपये किलो का भाव मिल रहा है. कैसे किसान गुजारा कर पाएगा. किसान आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.