खरीफ सीजन में मूंग दाल (Moong Farming) की बुवाई करने वाले किसानों को अच्छी पैदावार के लिए फसल को कीटों और रोगों से बचाना जरूरी है. इसके लिए किसानों को बारिश के मौसम में खासतौर पर ध्यान देना होता है. क्योंकि, खेत में ज्यादा पानी कई दिनों तक भरे रहने से पौधे की जड़ों में सड़न पैदा हो जाती है पत्तियों पर मोजेक रोग पनपने लगता है. इस रोग की वजह से पत्तियां पीली हो जाती हैं और नष्ट होने लगती हैं. इसके अलावा भी कई तरह के रोग इस मौसम में फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, जिनसे बचने के लिए एक्सपर्ट ने कुछ उपाय बताए हैं. आइये जानते हैं.
केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में जुलाई तक देशभर में जमकर दालों की बुवाई की गई है. बीते साल इस समय तक 71 लाख हेक्टेयर इलाके में दलहन बुवाई हो पाई थी, जबकि इस बार यह बढ़कर 86 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है. इसमें से मूंग दाल की बुवाई का रकबा भी 3 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में इस बार किसानों ने जमकर मूंग दाल की बुवाई की है. इसी वजह से मूंग का बुवाई रकबा बीते साल जुलाई तक 23 लाख हेक्टेयर था जो इस बार बढ़कर 26 लाख हेक्टेयर हो गया है.
मध्यप्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार खरीफ सीजन में मूंग दाल (Moong Crop) की अच्छी पैदावार के लिए फसल में फैलने वाले रोग और कीटों को रोकना जरूरी है. एक्सपर्ट के अनुसार फसल में पीला चितकबरी रोग यानी मोजेक रोग फसल को नष्ट करता है. इसके अलावा सर्कोस्पोरा पत्तियों का धब्बा रोग, पौधे में फफूंदी फैलाने वाला एन्थ्राक्नोज रोग और भभूतिया या पावडरी मिल्डयू रोग मूंग फसल के लिए बेहद घातक होते हैं.
सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग (Cercospora leaf spot) से फसल को बचाने के लिए किसान रोग रहित स्वस्थ बीजों का इस्तेमाल करें. इसके अलावा खेत में पौधे घने नहीं होने चाहिये. पौधों के बीच 10 सेमी. की दूरी होनी चाहिए. इस रोग के लक्षण दिखने पर किसान मेंकोजेब 75 डब्लूपी दवा की 2.5 ग्राम लीटर या कार्बेन्डाइजिम 50 डब्लूपी की 1 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोल 2-3 बार छिड़काव करना चाहिए.