क्या देश में थम रहा है मोटे अनाजों का उत्पादन! RBI की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

क्या देश में थम रहा है मोटे अनाजों का उत्पादन! RBI की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

मोटे अनाजों के उत्पादन और रकबा में स्थिरता आने के पीछे कुछ खास वजह बताई गई है. इसमें सबसे खास है पतले अनाजों (चावल, गेहूं, मक्का आदि) की खेती पर किसानों को दिया जाने वाला इनसेंटिव. इस इनसेंटिव को प्रोत्साहन राशि भी कह सकते हैं जो किसानों को अलग-अलग रूप में दी जाती है. इसी इनसेंटिव में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP भी आता है.

उत्‍तराखंड में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है  उत्‍तराखंड में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 31, 2024,
  • Updated May 31, 2024, 7:25 PM IST

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी कि RBI ने एक चौंकाने वाली जानकारी दी है. यह जानकारी मोटे अनाजों को लेकर है. आरबीआई ने कहा है कि भारत में मोटे अनाज (Millets) का उत्पादन और रकबा दोनों ठहराव वाली स्थिति में हैं. यानी मिलेट का रकबा और उत्पादन दोनों स्थिर हो गया है, उसमें न तो वृद्धि है और न ही कोई गिरावट है. रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है. भारत, एशिया का 80 फीसद और पूरी दुनिया का 20 फीसद मोटा अनाज पैदा करता है.

मोटे अनाजों के उत्पादन और रकबा में स्थिरता आने के पीछे कुछ खास वजह बताई गई है. इसमें सबसे खास है पतले अनाजों (चावल, गेहूं, मक्का आदि) की खेती पर किसानों को दिया जाने वाला इनसेंटिव. इस इनसेंटिव को प्रोत्साहन राशि भी कह सकते हैं जो किसानों को अलग-अलग रूप में दी जाती है. इसी इनसेंटिव में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP भी आता है. पतले अनाजों की खेती में एमएसपी का नियम है जिससे किसान इसकी अधिक से अधिक बुवाई करते हैं, जबकि मोटे अनाजों से बचते हैं. 

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क्यों रुका मोटे अनाजों का उत्पादन?

इसी तरह पतले अनाजों के लिए प्रोक्योमेंट स्कीम चलाई जाती है. सरकारी एजेंसियां अनाजों को खरीदती हैं और एक गारंटी कीमत देती हैं. इससे किसानों की कमाई होती है, साथ ही किसान अपनी उपज को लेकर आश्वस्त रहते हैं. इस वजह से भी किसान पतले अनाजों की खेती में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं, जबकि मोटा अनाजों के साथ इस तरह की किसी स्कीम का फायदा किसानों को नहीं मिलता. इसी तरह उपभोक्ता भी पतले अनाजों को खाना अधिक पसंद करते हैं और मोटे अनाजों से उनका नाता दूर-दूर का है. इससे भी मोटे अनाजों की खेती में स्थिरता देखी जा रही है.

उत्पादन की बात करें तो दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में मिलेट की पैदावार कम होती है. भारत में प्रति हेक्टेयर जहां 1.4 टन मोटा अनाज पैदा होता है, वहीं चीन में 3 टन, इथोपिया में ढाई टन और रूस में डेढ़ टन मोटा होता है. इसमें ज्वार को अलग रखा गया है. प्रति हेक्टेयर मोटे अनाज का यह आंकड़ा बिना ज्वार के है. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट बताती है कि फील्ड सर्वे से स्पष्ट है कि भारत में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने की संभावनाएं बहुत हैं. किसान बाजरे पर बहुत अधिक फोकस करते हैं, जबकि अन्य मोटे अनाजों की खेती करें तो उत्पादन में सुधार संभव है.

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ऐसे बढ़ाएं मिलेट की पैदावार

मोटे अनाजों की खेती वर्षा आधारित इलाकों में ज्यादा होती है जहां बिना सिंचाई के या बहुत कम सिंचाई में भी मोटे अनाजों की पैदावार ली जा सकती है. मोटे अनाजों के बारे में कहा जाता है कि ये सूखे के प्रति टॉलरेंट हैं यानी इसकी खेती पर सूखे का कोई असर नहीं होता. हालांकि अगर सिंचाई की कुछ व्यवस्था कर दी जाए तो भारत में मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. अगर इसकी खेती में हाइब्रिड बीजों का इस्तेमाल किया जाए तो पैदावार बढ़ाई जा सकती है.

 

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