हरियाणा सरकार ने आज 23 सितंबर से बाजरे की खरीद शुरू करने का निर्णय लिया है. हैफेड यानी हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड ने सबसे पहले रेवाड़ी, कनीना, भिवानी, कोसली और चरखी दादरी मंडियों में बाजरे की व्यवसायिक खरीद का फैसला किया है. आमतौर पर एक अक्टूबर से बाजरे की खरीद होती है, लेकिन सरकार ने किसानों की मांग को देखते हुए खरीद पहले शुरू कर दी है. पहले 22 सितंबर से खरीद होनी थी, लेकिन सरकार ने घोषणा करने के बाद देर रात फैसला वापस ले लिया था. अब इस फैसले में बदलाव करते हुए कुछ मंडियों में शनिवार से बाजारा खरीदा जाएगा. हरियाणा प्रमुख बाजरा उत्पादक है. ऐसे में किसान कई दिन से इसकी खरीद का इंतजार कर रहे थे.
खरीद के लिए जिस ट्विटर हैंडल पर राज्य सरकार ने जानकारी दी है, उस पर एक किसान ने दिलचस्प कमेंट किया है. उसने सरकार को आइना दिखाने की कोशिश की है. किसान लिखता है, "15 दिन पहले ही किसान अपना बाजरा बेच चुके हैं. अब किसका बाजरा खरीदोगे? यह सरकार किसानों की कतई हितैषी नहीं है. मुख्यमंत्री कृषक, कृषि और कृषि आधारित कार्यों से अनभिज्ञ हैं. ऐसे मुख्यमंत्री के रहते किसानों का कोई भला नहीं होने वाला. व्यापारियों के फायदा के लिए खरीद दिखाई जाएगी." दरअसल, हरियाणा के किसान 15 सितंबर से ही बाजरा की खरीद शुरू करने की मांग कर रहे थे.
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प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर को एक बयान जारी करके बताया था कि बाजरा की खरीद के लिए राज्य में 35 मंडियां बनाई गई हैं. हैफेड द्वारा 2200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीद होगी. शेष 300 रुपये की राशि का भावांतर के रूप में भुगतान किया जाएगा. क्योंकि बाजारा की एमएसपी 2500 रुपये क्विंटल है. हालांकि, अब सरकार 35 की बजाय सिर्फ रेवाड़ी, कनीना, भिवानी, कोसली और चरखी दादरी मंडियों में ही खरीद कर रही है. आगे और मंडियों में भी खरीद शुरू की जा सकती है.
बताया गया है कि 20 सितंबर तक राज्य की मंडियों में 22,653 क्विंटल बाजरे की आवक हुई थी. हालांकि, काफी किसान बाजरा व्यापारियों को बहुत कम दाम पर बेच चुके हैं, क्योंकि सरकारी खरीद नहीं हो रही थी. बाजरे की फसल कट चुकी थी और किसानों को पैसे की जरूरत थी. ऐसे में वो व्यापारियों को बाजरा न बेचते तो क्या करते. बहरहाल, राज्य सरकार ने फसल खरीद की राशि का भुगतान 72 घंटे के अंदर-अंदर सीधा किसानों के बैंक खातों में करने को कहा है. सरकार ने कहा है कि खरीफ सीजन-2023 के लिए भी किसानों की मांग थी कि फसलों की जल्द खरीद शुरू की जाए. इसलिए किसानों की मांग को पूरा करते हुए खरीद शुरू कर दी है.
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