जुलाई में जरूर कर दें मक्के की बुवाई, ये संकर किस्में दिलाएंगी बेहतर पैदावार

जुलाई में जरूर कर दें मक्के की बुवाई, ये संकर किस्में दिलाएंगी बेहतर पैदावार

खरीफ मौसम में मक्का का खेत तैयार करने के लिए हैरो से एक गहरी जुताई और कल्टीवेटर से 2-3 जुताई पर्याप्त होती है. जुताई के बाद खेतों को एक बराबर कर देना चाहिए. इससे नमी बरकरार रखने में मदद मिलती है. मक्का की खेती के लिए दोमट से लेकर बलुई दोमट, गहरी, भारी बनावट वाली मिट्टी, जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा हो और उचित जल निकासी की सुविधा हो, अच्छी मानी जाती है.

मक्के की खेती के लिए करें इन किस्मों का चयनमक्के की खेती के लिए करें इन किस्मों का चयन
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jul 01, 2024,
  • Updated Jul 01, 2024, 12:35 PM IST

मक्का की देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई मध्य मई से मध्य जून और जुलाई तक सिंचाई करके करनी चाहिए. इससे यह फायदा होता है कि बारिश शुरू होने से पहले पौधे खेत में अच्छी तरह से लग जाते हैं. बुवाई के 15 दिन बाद निराई-गुड़ाई भी कर देनी चाहिए. जल्दी पकने वाली मक्का की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह तक कर देनी चाहिए. खरीफ मौसम में मक्का के लिए खेत तैयार करने के लिए हैरो से एक गहरी जुताई और कल्टीवेटर से 2-3 जुताई पर्याप्त होती है. जुताई के बाद खेतों को एक बराबर कर देना चाहिए. इससे नमी बरकरार रखने में मदद मिलती है. मक्का की खेती के लिए दोमट से लेकर बलुई दोमट, गहरी, भारी बनावट वाली मिट्टी, जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा हो और उचित जल निकासी की सुविधा हो, अच्छी मानी जाती है. मिट्टी में पानी को सोखने की उचित क्षमता भी होनी चाहिए ताकि फसल की वृद्धि हो सके. 

जल्द पकने वाली किस्म

फसल के पकने के आधार पर खरीफ मक्का की खेती के लिए कई उच्च उपज देने वाली संकर किस्में उपलब्ध हैं. मक्का की जल्द पकने वाली संकर किस्में जैसे पीईएचएम 2, पीईएचएम 3, पीईएचएम 5 आदि 80-85 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं.

मध्यम पकने वाली किस्में

मक्का की मध्यम पकने वाली किस्में जैसे पूसा एचएम 4, पूसा एचएम 8, पूसा एचएम 9, पीएचएम 1, केएच 510, जवाहर मक्का, एमएमएच 69, एचएम 10, एमएचएम 2, बायो 9637 आदि 85-95 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. इन किस्मों को सिंचित और वर्षा आधारित क्षेत्रों में उगाया जा सकता है.

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देर से पकने वाली किस्में

मक्का की अधिक समय पर पकने वाली किस्में जैसे पूसा जवाहर हाइब्रिड मक्का-1, गुजरात आनंद सफेद मक्का हाइब्रिड-2, एमएम 9344, पूसा एचएम 9 इम्प्रूव प्रोटीन से भरपूर मक्का की किस्में जैसे कि एचक्यूपीएम 1, एचक्यूपीएम 4, एचक्यूपीएम 5, एचक्यूपीएम 7 आदि प्रमुख हैं. इन किस्मों की बुवाई उन क्षेत्रों में की जानी चाहिए जहां सिंचाई की व्यवस्था करके समय पर बुवाई की जा सके और फसल अवधि के दौरान बारिश का पानी मिल सके. सभी राज्यों के लिए मक्का की विशेष किस्में जैसे बेबीकॉर्न के लिए पूसा हाइब्रिड 2, पूसा हाइब्रिड 3, एचएम-4, बीएल-42 और जी-5414, पॉपकॉर्न के लिए पर्ल पॉपकॉर्न और अंबर पॉपकॉर्न और स्वीट कॉर्न के लिए प्रिया और माधुरी प्रमुख हैं.

खाद और उर्वरक

मक्का की अच्छी उपज लेने के लिए संतुलित खादों का प्रयोग करना चाहिए. इनकी मात्रा भी मिट्टी की उर्वरता और अन्य बातों पर निर्भर करती है. इसलिए किसानों को मिट्टी परीक्षण के आधार पर खादों का प्रयोग करना चाहिए. मक्का के लिए 120-150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 75 किलोग्राम फास्फोरस और 75 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले खेत में दे देनी चाहिए.

यदि मिट्टी में जीवांश पदार्थ की कमी हो तो बुवाई से लगभग 15-20 दिन पहले 6-8 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करने से नाइट्रोजन की मात्रा में 25 प्रतिशत की कमी की जा सकती है. बाकी नाइट्रोजन को बराबर मात्रा में दो बार टॉप ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें. पहली टॉप ड्रेसिंग तब करें जब फसल घुटने की ऊंचाई तक पहुंच जाए. दूसरी खुराक जड़ें निकलने पर खेत में डालें. जिन क्षेत्रों में पिछले साल ऐसे लक्षण दिखाई दिए थे, वहां अंतिम जुताई के समय 20-25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/हेक्टेयर मिट्टी में मिलाकर बीज बोना चाहिए.

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